दूषित आबो हवा से प्री-मेच्योर बच्चों का जन्म
राजसिंह पाल, पानीपत : औद्योगिक नगरी पानीपत में गर्भवती महिलाएं 37 सप्ताह से पहले बच्चों को
राजसिंह पाल, पानीपत :
औद्योगिक नगरी पानीपत में गर्भवती महिलाएं 37 सप्ताह से पहले बच्चों को जन्म दे रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को देखें तो 30 प्रतिशत से अधिक बच्चों का जन्म 8 से 9 माह के बीच हो गया है। शहर की बिगड़ती आबो-हवा के कारण महिलाओं के गर्भ पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सिविल अस्पताल में लगभग 500 महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है। इनमें से 30 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें मात्र 8 माह का गर्भकाल पूरा होते ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। लगभग 10 प्रतिशत महिलाएं ऐसी रहीं, जिन्होंने 7 से 8 माह के गर्भ अवस्था पूरा होते ही बच्चे को जन्म दे दिया। इसका नतीजा यह कि बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर पैदा हो रहे हैं। जन्म के बाद भी बच्चों के शारीरिक व दिमागी विकास पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश दहिया ने बताया कि प्री-मेच्योर बच्चों का कम वजन और शरीर में खून की कमी आम समस्या है।
प्री-मेच्योर बच्चों को जेनेटिक बीमारियों से ग्रसित होने और मानसिक रूप से कमजोर बने रहने का खतरा रहता है। शिशु मृत्यु दर भी ऐसे बच्चों की अधिक रहती है।
प्री-मेच्योर जन्म का मुख्य कारण
-महिला का नाइट्रोजन ऑक्साइड के संपर्क में आना।
-महिला का कार्बन मोनोऑक्साइड के संपर्क में आना।
-रेडिएशन का संपर्क व महिला का तनावग्रस्त रहना।
-जनरेटर व धूल का संपर्क से शरीर में लेड की मात्रा बढ़ना।
-कई बार गर्भपात होने की स्थिति में।
-गर्भावस्था के दौरान पेट में चोट लगने पर।
-कुपोषित होना व शरीर में रक्त की कमी।
प्री-मेच्योर बच्चों को खतरा
-शरीर की त्वचा पतली होना।
-शरीर का तापमान अनियन्त्रित रहना।
-रक्त में शक्कर का अचानक कम होना।
-सास लेने में कठिनाई होना।
-निमोनिया व पीलिया का खतरा।
गर्भवती कराएं यह जांच
हीमोग्लोबिन टेस्ट, ब्लड ग्रुप, आरएच फैक्टर टेस्ट, टॉर्च व ट्रिपल टेस्ट, ब्लड शुगर टेस्ट, एचआइवी टेस्ट, एचपीवी, थॉयरायड, यूरीन टेस्ट व गर्भकाल के दौरान तीन बार अल्ट्रासाउंड।