महेंद्र चावला पर हमले के मामले में 150 संदिग्धों से पूछताछ
पानीपत : आसाराम व उसके बेटे नारायण साई के केस में मुख्य गवाह महेंद्र चावला पर जानलेवा हमला करने के मामले में पुलिस हरियाणा सहित पड़ोसी राज्यों में दबिश दे रही है। पुलिस की टीमें पानीपत, सोनीपत, जींद, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 150 से ज्यादा संदिग्ध लोगों से पूछताछ
जागरण संवाददाता, पानीपत : आसाराम व उसके बेटे नारायण साई के केस में मुख्य गवाह महेंद्र चावला पर जानलेवा हमला करने के मामले में पुलिस हरियाणा सहित पड़ोसी राज्यों में दबिश दे रही है। पुलिस की टीमें पानीपत, सोनीपत, जींद, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 150 से ज्यादा संदिग्ध लोगों से पूछताछ कर चुकी है।
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पुलिस को अब तक हमलावरों के बारे में कोई सुराग नहीं लगा है। दूसरी ओर, पुलिस की अभी तक की जांच से पीडि़त चावला संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि वह स्वमामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग करेंगे। उधर, डीएसपी देशराज का कहना है कि इस मामले में ढील नहीं बरती जाएगी।
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बीते बुधवार को दो बदमाशों ने सनौली खुर्द गांव में गवाह महेंद्र चावला को दो बदमाशों ने गोली मार दी थी। चावला प्रेम अस्पताल में भर्ती हैं और उनका ऑपरेशन हो चुका है।
2005 में किया नारायण साई से किनारा
महेंद्र चावला ने बताया कि उसने नारायण साई के दोहरे चरित्र को भांप लिया था। वह नाम का योगी है। अगस्त 2005 में समालखा में नारायण साई का कार्यक्रम हुआ था। तभी उसने साई से किनारा कर लिया था। उसने ठान ली थी कि साई के गलत कामों को विरोध करेगा।
मेरे पास हैं तंत्र विद्या के सुबूत
चावला का दावा है कि 2007 में उसने मध्यप्रदेश में नारायण साई को तंत्र विद्या करते देखा था। साई ने ही उसे तंत्र विद्या के पेपर दिए थे। अहमदाबाद में दो बच्चों की मौत के बाद साई पर अंगुली उठी थी। आरोप है कि साई ने उसे धमकी दी कि वह उसे तंत्र विद्या के पेपर लौटा दे। नहीं तो अंजाम बुरा होगा।
चावला का कहना है कि उसके साथी ने उसे कुछ दिन पहले आगाह किया था कि नारायण साई का नजदीकी पानीपत का एक युवक उसके लिए खतरा हो सकता है। अभी तक पुलिस आरोपी युवक तक पूछताछ नहीं कर पाई है।
2010 में खोला डाडोला आश्रम के खिलाफ मोर्चा
महेंद्र चावला ने 2010 में आसाराम के डोडाला स्थित आश्रम के खिलाफ मोर्चा खोला था। चावला का आरोप है कि आश्रम कृषि योग्य भूमि पर है। इसकी जिला नगर योजनाकार से भी अनुमति नहीं है। जिला नगर योजनाकार से कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण कुछ नहीं हुआ।