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पथरी आपरेशन की कारगर तकनीक आरआइआरएस-डॉ. पवन

फोटो 2 आरपी स्टोन क्लीनिक में प्रशिक्षण कार्यशाला विभिन्न शहरों से पहुंचे चिकित्सक जा

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 03:00 AM (IST)
पथरी आपरेशन की कारगर तकनीक आरआइआरएस-डॉ. पवन
पथरी आपरेशन की कारगर तकनीक आरआइआरएस-डॉ. पवन

फोटो 2

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आरपी स्टोन क्लीनिक में प्रशिक्षण कार्यशाला

विभिन्न शहरों से पहुंचे चिकित्सक

जागरण संवाददाता, पानीपत

सेक्टर-11 स्थित आरपी स्टोन क्लीनिक में रविवार को रेट्रोग्रेड इंट्रा रीनल सर्जरी (आरआइआरएस) विषय पर प्रशिक्षण कार्यशाला कराई गई। आरआइआरएस विशेषज्ञ डॉ. पवन गुप्ता ने कार्यशाला में यूरोलॉजिस्ट्स को बताया कि किडनी व ग्लैडर से पथरी निकालने के लिए यह अब तक की सबसे सुरक्षित, आधुनिक व कारगर तकनीक है।

उन्होंने कहा कि आरआइआरएस से किडनी व ग्लैडर की पथरी मूत्र वाहिनी के रास्ते प्राकृतिक ढंग से निकाली जाती है। नई पीढ़ी के चिकित्सक भी इस पद्धति को अपनाएं, ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके। चिकित्सा क्षेत्र तक अत्याधुनिक तकनीक का बड़ा महत्व है। इस क्षेत्र में विश्व स्तर पर भारत मजबूती के साथ खड़ा हो सके, इसके लिए पढ़ाई के साथ तकनीक का इस्तेमाल करना भी सीखना होगा। उन्होंने बताया कि देश के विभन्न शहरों के अलावा नेपाल, श्रीलंका व यूएई के चिकित्सक भी पानीपत आकर आरआइआरएस की ट्रेनिंग ले चुके हैं। पानीपत समेत आसपास जिलों के मरीजों को अब पथरी के ऑपरेशन के लिए दूसरे शहरों में नहीं जाना पडे़गा। इस मौके पर एक मरीज ऑपरेशन लाइव दिखाया गया।

कार्यशाला में देहरादून से डॉ. संजीव कुमार, गुरुग्राम से डॉ. आइएन वर्मा, सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली से डॉ. शाहनवाज, डॉ. रवि शंकर, डॉ. संजीव जैन, राममनोहर लोहिया अस्पताल दिल्ली से डॉ. हर्ष जैन व डॉ. अनुज कुमार आदि मौजूद रहे।

डॉ. पवन गुप्ता से विशेष बातचीत :

प्रश्न : आरआइआरएस तकनीक क्या है और कितनी कारगर ?

उत्तर : दूरबीन की मदद से किडनी के अंदर लचीले यूरेटोस्कोप की मदद से की जाने वाली सर्जरी को आरआइआरएस कहते हैं। दूरबीन को मूत्र मार्ग से किडनी तक पहुंचाकर लेजर किरणों से स्टोन को तोड़ा जाता है।

प्रश्न : क्या इसमें मरीज के शरीर में कट भी लगाया जाता है

उत्तर : इस तकनीक में कट नहीं लगाया जाता। पहले दूरबीन से जो ऑपरेशन होते थे तो चिकित्सक अपनी सहूलियत के लिए बड़ा चीरा लगा देते थे।

प्रश्न : आरआइआरएस सर्जरी की होल सर्जरी से कितनी भिन्न है?

उत्तर : इस सर्जरी में लेप्रोस्कोपिक या ओपन सर्जरी की तरह त्वचा चीरा नहीं लगाया जाता। लेजर किरणों से स्टोन को तोड़ने के बाद एक बास्केट की मदद से मूत्र मार्ग के जरिए उसे निकाल दिया जाता है।

प्रश्न : आरआइआरएस से होने वाली स्टोन सर्जरी में क्या मरीज को बेहोश करने की जरूरत होती है?

उत्तर : सामान्य या रीढ़ की हड्डी वाले ऑपरेशन में एनेस्थेसिया का सहारा लिया जा सकता है। हालांकि इस सर्जरी में रक्तस्राव व पीड़ा कम हेाती है।

प्रश्न : आरआइआरएस तकनीक का इस्तेमाल किसी अन्य बीमारी में किया जा सकता है?

उत्तर : जी हां, मूत्र वाहिनी में रुकावट और ट्यूमर के इलाज के लिए भी इस तकनीक की मदद ली जाती है।

प्रश्न : आरआइआरएस के बाद भी क्या स्टेंट रखा जाना आवश्यक है ?

उत्तर : अधिकाश मामलों में स्टेंट का रखा जाना जरूरी होता है। मूत्र वाहिनी को खुला रखने व स्टोन को बाहर निकालने में स्टेंट सहायक हैं।


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