जमानत पर छूठने पर राकेश ने जिस जींद में शरण ली, वहीं की जेल से आया उसकी मौत का फरमान
विजय गाहल्याण, पानीपत: कैथल के गैंगस्टर सतबीर उर्फ झब्बल से राकेश श्योकंद की नजदीकी थी। वहीं
विजय गाहल्याण, पानीपत: कैथल के गैंगस्टर सतबीर उर्फ झब्बल से राकेश श्योकंद की नजदीकी थी। वहीं जींद के विजय गैंग से कुख्यात अपराधी सिवाह का प्रसन्न उर्फ लंबू का भी नाता रहा है। सूत्रों के अनुसार तहसील कैंप के अमन नंदी की हत्या के मामले में सजायाफ्ता राकेश श्योकंद ने हाई कोर्ट से जमानत लेकर अपने जींद जिले में शरण ले ली थी। कई महीने से उसका दखल शहर में हो गया था। तहसील कैंप क्षेत्र का तो वह डॉन था। रंगदारी चालू हो गई थी। यह बात लंबू को खटकती गई। क्योंकि उसने भी शहर का डॉन बनने का सपने देखा था। राकेश इसमें रोड़ा बन रहा था। इसी वजह से लंबू ने जींद जेल में रहते हुए विश्वसनीय गुर्गे राहुल कादियान को राकेश की हत्या का फरमान सुना दिया। राहुल ने कुछ दिनों से राकेश के साथ दोस्ती। वह तहसील कैंप में भी रहा। रेकी कर पता लगाया कि राकेश कब और कहां-कहां जाता है। 12 जुलाई को राकेश की हत्या का सयम तय किया गया। राहुल ने सबसे पहले राकेश को गोली मारी। फिर उसके करीब छह साथियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर राकेश को ढेर कर दिया। वारदात में तीन बाइकों का इस्तेमाल किया गया।
हत्याकर ताजमहल घूमने चला गया, फंस गया पुलिस जाल में
राकेश की हत्या कर राहुल अपने साथियों के साथ आगरा का ताजमहल देखने चला गया। इसके बाद वह चेन्नई, पुणे, गुजरात के गांधीनगर और फिर हरियाणा के कई ठिकानों पर छिपता रहा। जब उसे अहसास हुआ कि पानीपत पुलिस की जांच मंद पड़ गई है तो फिर वह शहर में आ गया। सोमवार रात को राहुल अपने साथी गगन व विजय के साथ रिफाइनरी रोड ओवरब्रिज के पास वाहन चालकों को लूटने की फिराक में था। सीआइए-1 पुलिस को भनक लग गई। एसआइ राजपाल पुलिस की गाड़ी की बत्ती उतारकर ड्राइवर सत्यवान और हवलदार संजीव के साथ चल पड़ा। राहुल ने सादे कपड़े पहने सत्यवान की कनपटी पर लोडेड तमंचा अड़ा दिया और धमकी दी कि जो नकदी है निकाल दे। तभी राजपाल ने गाड़ी की अंदर की लाइट जला दी। राहुल व उसके साथी भागने लगे तो उन्हें घेर कर पकड़ लिया गया। राहुल से दो तमंचे, छह कारतूस, गगन से दो तमंचे व छह कारतूस और विजय से एक तमंचा और पांच जिंदा कारतूस बरामद किए गए। इनमें कई तमंचे जंग लगे थे।
राहुल की शहर में दादागिरी करने की थी चाहत
राहुल के भाई की मौत हो चुकी है। पिता कृष्ण का आरओ का प्लांट है। सीआइए-1 प्रभारी संदीप छिक्कारा ने बताया कि राहुल पढ़ा लिखा युवक है और फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलता है। वह पढ़ाई कर आगे बढ़ने की बजाय अपराध की दुनिया में नाम कमाना चाहता था। इसलिए उसने अपराधियों से दोस्ती की और शहर में दादागिरी करना ठान लिया। उस पर हत्या के प्रयास का भी मामला दर्ज है।
राकेश को नहीं मरता तो खुद मारा जाता
पुलिस पूछताछ में राहुल ने बताया कि टूटी की हत्या में वह गवाह है। राकेश उस पर दबाव डाल रहा था कि वह गवाही न न दे। नहीं तो अंजाम ठीक नहीं होगा। दूसरी ओर टूटी के दोस्तों ने उसे कह दिया था कि गवाही से पलटा तो वे उसे मार देंगे। उसने खुद को बचाने के लिए राकेश का कत्ल कर दिया। उसने निशाना सिर्फ राकेश को बनाया। जसमेर व सन्नी पर हमला नहीं किया। पुलिस जांच में जुटी है कि कहीं राहुल झूठी कहानी तो नहीं सुना रहा है।
कहीं बड़े गैंग के नाम सेखौफ नहीं फैलाया जा रहा
झब्बल और विजय गैंग के बीच हुए गैंगवार में उनके सात सदस्यों से ज्यादा की मौत हो चुकी है। इसमें राकेश भी मारा गया है। इस गैंगवार में और भी जान जा सकती है। इसको लेकर भी पुलिस सचेत है। गैंग से संबंध रखने वाले उन गुर्गो की पुलिस लिस्ट बना रही है जो अब जेल से बाहर हैं। वहीं पुलिस यह भी पता लगा रही है कि विजय और झब्बल गैंग का इस्तेमाल कर कहीं और अपराधी तो नहीं फायदा उठा रहे हैं। इसका सही पता पुलिस द्वारा लंबू से पूछताछ में चलेगा।
किसने दिलाए हथियार, सिवाह में भी साजिशकर्ता
राकेश की हत्या में पिस्तौल का इस्तेमाल हुआ है। जबकि राहुल व उसके साथियों से पुलिस ने तमंचे बरामद किए हैं। पुलिस राहुल से पता लगाएगी कि राकेश की हत्या में असलहे किसने मुहैया कराए हैं। वारदात में प्रयुक्त पिस्तौल कहां है। पुलिस को शक यह भी कि राकेश की हत्या की साजिश में सिवाह के और भी युवक हो सकते हैं।