घर विराजे गजानन
जागरण संवाददाता, पानीपत : गणपति बप्पा मोरया.। किला स्थित एमएल वर्मा पार्क में सोमवार को गणेश
जागरण संवाददाता, पानीपत : गणपति बप्पा मोरया.। किला स्थित एमएल वर्मा पार्क में सोमवार को गणेश महोत्सव शुरू हुआ। बाजारों में शोभायात्रा निकाली गई। रथ पर सवार गजानन को देखने के लिए शहरवासी उमड़ पड़े। हर्षोल्लास के माहौल में जयकारों से शहर गूंज उठा।
भादो मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को शहर में उमंग उत्साह का माहौल रहा। सेक्टर 25 में हनुमान मंदिर के पास सड़क के किनारे रखी गणेश प्रतिमाओं को तीसरे पहर तक शहरवासी खरीदने में व्यस्त रहे। मराठी समुदाय के 300 परिवारों ने टंडौली (पुणे) से मंगा कर गणपति देव का पूजन किया। इंसार बाजार स्थित सिल्वर पैलेस के पास सुबह 10:30 बजे से पूजन शुरू हुआ। बद्रीनाथ निवासी पंडित प्रेम दत्त नौटियाल ने विधि विधान से पूजन कराया। सार्वजनिक युवा गणेश मंडल के 15-20 सदस्य पूजा पर बैठे। दोपहर 12:10 बजे आरती हुई। युवक खुशी से झूमते हुए ज्योत व कलश लेकर रथ की तरफ कदम बढ़ा दिए। जयकारों के बीच मूर्ति को हाथों से उठा कर रथ पर रखा।
पूजन कर लगाया तिलक
प्रतिमा रथ पर रखने के बाद सर्वप्रथम श्रवण गुप्ता ने भगवान गणेश का पूजन किया। तिलक लगा कर आरती की। 500 रुपये प्रतिमा पर चढ़ाया। शोभायात्रा रवाना होने से पहले युवा मंडल के प्रधान तात्या राव कदम ने भी आरती की। डीजे की धुन पर सब नाचते गाते किले की तरफ बढ़ने लगें।
प्रतिमा देखने की लगी होड़
दोपहर 12:45 बजे इंसार बाजार से शोभायात्रा शुरू हुई। सबसे आगे राधा कृष्ण की झांकी थी। कन्हैया की वेश में सजे धजे कलाकर आकर्षण का केंद्र बने रहे। इंसार बाजार से शुरू हुई शोभायात्रा सलारगंज गेट व हलवाई हट्टा से होकर शाम 5:30 बजे किले पर पहुंची। प्रमुख बाजारों व अन्य कालोनियों में महाराष्ट्र प्रांत से मंगाई इस प्रतिमा को देखने के लिए होड़ लगी रही।
लड्डू का भोग लगाया
घंटे की ध्वनि के बीच युवा मंडल के सभी सदस्यों ने जय गणेश देवा गीत गाकर बारी बारी से आरती की। मराठी भाषा में भी गीत गाए। लड्डू का भोग लगाया। रथ जब इंसार बाजार से रवाना हुआ तो किला पहुंचने तक राहगीर, दुकानदार व शहरवासियों को लड्डू का प्रसाद बांटा गया। प्रसाद लेने के लिए मारामारी मची रही।
आजादी से पूर्व बना गणेश मंडल सार्वजनिक युवा गणेश मंडल के सदस्यों ने बताया कि गणपति पूजन की परंपरा दशकों पुरानी है। आजादी के दौरान अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए बाल गंगाधर तिलक ने सभी जातियों को एक मंच पर साझा करने के लिए सार्वजनिक गणेश मंडल की स्थापना की। मकसद सभी को एक सूत्र में पिरोना था। दशकों बाद भी गणेश महोत्सव की परंपरा चली आ रही है। हरियाणा के पानीपत शहर में बीते दो दशक से सार्वजनिक युवा गणेश मंडल के सदस्य गणेश चतुर्थी के दिन भक्ति भाव से पूजन करते हैं।