Move to Jagran APP

निजी स्कूलों ने किया पेरेंट्स एसोसिएशन के आरोपों का खंडन

जागरण संवाददाता, पानीपत हरियाणा यूनाइटेड स्कूल एसोसिएशन आरटीइ के तहत पढ़ाए गए बच्चों की

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Mar 2017 03:26 AM (IST)Updated: Sun, 26 Mar 2017 03:26 AM (IST)
निजी स्कूलों ने किया पेरेंट्स एसोसिएशन के आरोपों का खंडन
निजी स्कूलों ने किया पेरेंट्स एसोसिएशन के आरोपों का खंडन

जागरण संवाददाता, पानीपत

prime article banner

हरियाणा यूनाइटेड स्कूल एसोसिएशन आरटीइ के तहत पढ़ाए गए बच्चों की फीस और बढ़े प्रॉपर्टी टैक्स के लिए प्रदेश सरकार के खिलाफ कोर्ट जाएगी। विकास नगर स्थित सर छोटू राम हैरिटेज स्कूल में एसोसिएशन की प्रदेश स्तरीय बैठक में कोर्ट फैसलों के आधार पर पेरेंट्स एसोसिएशन के दावों का भी खंडन किया।

हरियाणा यूनाइटिड स्कूल एसोसिएशन के प्रधान विजेंद्र मान ने बैठक में कहा कि पेरेंट्स एसोसिएशन नाम की संस्था अभिभावकों और स्कूल संचालकों के बीच संबंध खराब करने का कार्य कर रही है। निजी स्कूल कोई फीस गैर कानूनी तौर पर नहीं ले रहे। यदि अभिभावकों को फीस से आपत्ति है तो वे स्कूल बदल सकते हैं। निजी स्कूलों पर आरोप लगाने वालों को कोर्ट के फैसलों का नहीं पता है।

इन मुद्दों पर हुई चर्चा:

नियमावली 158:

राज्य प्रधान विजेंद्र मान ने कहा कि शिक्षा के अधिनियम 158 में यह स्पष्ट है कि स्कूल को जो भी फीस लेनी है, उसकी जानकारी 1 जनवरी से पहले शिक्षा विभाग को फॉर्म 6 में दें। यदि किसी को आपत्ति है तो वह फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी को शिकायत कर सकता है। संबंधित रेंज कमिश्नर कमेटी के अध्यक्ष होते हैं।

नियमावली 160:

शिक्षा अधिनियम 160 में है कि रेडक्रॉस, बाल कल्याण कोष और खेल निधि को छोड़ अन्य फंड नहीं ले सकते। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में याचिका निर्णय के अनुसार वार्षिक शुल्क ले सकते हैं लेकिन यह ट्यूशन फीस के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

निजी प्रकाशकों की पुस्तकें और ड्रेस:

मान के अनुसार निजी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें लग सकती हैं बशर्ते ये नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क द्वारा अनुशंसित हो। हाइकोर्ट में यह मामला तीन बार गया। निजी प्रकाशकों की पुस्तकों से पढ़ाई करवाना किसी नियम का उल्लंघन नहीं है। स्कूल प्रांगण में ड्रेस की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी है कि यह कोई वाणिज्यिक गतिविधि नहीं बल्कि विद्यार्थियों के लिए सुविधा है। इसमें कोई आर्थिक लाभ नहीं होना चाहिए।

प्रॉपर्टी टैक्स:

प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मान ने कहा कि निजी स्कूलों को सरकार की ओर से प्रोपर्टी टैक्स संबंधी नोटिसों मिले हैं। इनमें 1 एकड़ से ज्यादा जमीन पर बने स्कूलों को सवा लाख रुपये प्रोपर्टी टैक्स भेजा गया है। यह तार्किक नहीं है। इसे कम करवाने के लिए कोर्ट का सहारा लेना पड़ेगा।

134ए:

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम पास किया है जिसमें सभी भुगतान करने का प्रावधान है लेकिन राज्य सरकार इसे लागू न कर 134ए में उलझा रही है। कक्षा 2 से 8 तक के बच्चों के लिए बहुत कम फीस दी जा रही है। कक्षा 9 से 12 तक कोई पैसा नहीं दिया जा रहा। इसके लिए कोर्ट में केस फाइल कर दिया है।

अंत में विजय निर्मोही ने एसोसिएशन के प्रधान पद के लिए विजेंद्र मान का नाम प्रस्तावित किया। इस पर सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से समर्थन किया। प्रधान विजेंद्र मान को कार्यकारिणी सदस्यों का चयन करने का अधिकार दिया। इस अवसर पर जिला प्रधान जयपाल सैनी सहित अन्य जिलों से पदाधिकारी मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.