सुरक्षा में चूक : थर्मल प्लांट से 40 क्विंटल तार चोरी, सीआइएसएफ जवान सस्पेंड
संवाद सूत्र, थर्मल (पानीपत): हाई सिक्योरिटी जोन में आने वाले पानीपत थर्मल पावर स्टेशन में चोर
संवाद सूत्र, थर्मल (पानीपत):
हाई सिक्योरिटी जोन में आने वाले पानीपत थर्मल पावर स्टेशन में चोरों ने सात जुलाई को मध्य रात्रि सेंध लगा दी। चोरों ने बंद पड़ी यूनिट नंबर 1 से 4 घंटे तक करीब 4 हजार मीटर लंबी व 40 क्विंटल वजनी तांबे की तार काटी और चुरा कर ले गए। इस मामले में सीआइएसएफ के एक जवान को सस्पेंड किया गया है। चोरी के दस दिन बाद घटना उजागर होने से थर्मल की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। सीआइएसएफ के डीआइजी एके सिंह जांच के लिए पहुंचे।
थर्मल प्लांट के एक्सईएन (डिस्पोजल) जसवीर दहिया मंगलवार को यूनिट का निरीक्षण करने निकले। बंद पड़ी यूनिट यूनिट नंबर 1 से 4 तक की तांबा की तार काटकर चोरी की गई थी। मौके पर तार काटने का कटर भी पड़ा हुआ था। प्लांट में लगी सेंध की जानकारी उन्होंने उच्चाधिकारियों को दी। घटना की सूचना पुलिस को भी दी गई। डीएसपी बली सिंह व सीआइएसएफ के डिप्टी कमांडेंट सुभाष तेवतिया समेत थर्मल के उच्चाधिकारी मौके पर पहुंचे। आनन-फानन सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली गई। फुटेज में तार काटने व चोरी की घटना तो कैद नहीं हो सकी लेकिन 7 जुलाई की रात्रि करीब 12:45 पर पांच संदिग्धों को मुख्य द्वार से प्रवेश करते और करीब 2:15 बजे पर बाहर निकलते देखा गया। इस मामले में सीआइएसएफ के एक जवान को सस्पेंड किया गया है।
चोरी की घटना के संबंध में सीआइएसएफ के जवान समेत 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की जा रही है। थर्मल प्रबंधन, सीआइएसएफ डिप्टी कमांडेंट, डीएसपी पुलिस संयुक्त रूप से घटना की जांच कर रही है।
वर्जन :
जबरदस्त सुरक्षा के बीच प्लांट में चोरी और संदिग्धों का 2 घंटे रहना चिंता का विषय है। जांच पूरी होने के बाद ही कुछ बता सकूंगा।
सुभाष तेवतिया, डिप्टी कमांडेंट, सीआइएसएफ
वर्जन :
घटना को छिपाया नहीं गया, बल्कि मंगलवार को ही पता चला है। थर्मल पुलिस चौकी में मुकदमा दर्ज कराया गया है। प्रबंधन भी अपने स्तर से जांच कर रहा है।
सतीश बधवा, चीफ इंजीनियर-थर्मल
अधिकारियों की मिलीभगत से चोरी : मान
हरियाणा बिजली बोर्ड कर्मचारी परिषद के प्रदेश महामंत्री जयबीर मान ने कहा कि थर्मल के अधिकारियों की मिलीभगत से प्लांट में चोरी व घोटाले हो रहे हैं। आवासीय कॉलोनी में भी सुरक्षा ठेकेदार को 42 लोगों के हिसाब से पेमेंट की जाती है, जबकि ड्यूटी पर आधे ही पहुंचते हैं। पुलिस को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच करनी चाहिए।