शिक्षा, जागरूकता की पैरोकार पांच बेटियां,
धर्म देव झा, समालखा मिलिए चुलकाना की पांच बेटियों से। एचटेट और सीटेट पास इन बेटियों ने न केवल खुद
धर्म देव झा, समालखा
मिलिए चुलकाना की पांच बेटियों से। एचटेट और सीटेट पास इन बेटियों ने न केवल खुद को शिक्षित किया, बल्कि गांव के हर बच्चे को अशिक्षा के अंधकार से शिक्षा के प्रकाश में लाने का संकल्प किया है। कुप्रथाओं को बंद करवाने के लिए गांव वालों को जागरूक भी करती हैं।बच्चों को निशुल्क पढ़ाती हैं। इनकी वजह से गांव में शिक्षा की एक नई लौ जल उठी है।
दूसरी से बारहवीं तक करीब दो सौ विद्यार्थी गांव की चौपाल और पीएचसी में इनके पास शाम चार से सात बजे तक पढ़ाई करते हैं।
बीए पास, जेबीटी प्रशिक्षित, एचटेट और सीटेट क्वालीफाइ युवती माफी कहती है कि उसे शिक्षा ग्रहण करने में काफी कठिनाई हुई। वह नहीं चाहती कि गांव के दूसरे बच्चों को कुछ समझने के लिए धक्के खाने पड़े। गरीबी के कारण वे बीच में शिक्षा न छोड़ दें।
बीए पास, जेबीटी प्रशिक्षित, एचटेट और सीटेट क्वालीफाइ युवती प्रियंका कहती हैं कि शाम चार से सात बजे तक बच्चों को पढ़ाने से मन को शांति मिलती है। साथ ही, अपनी तैयारी का भी पता चलता है। बच्चों को पढ़ाने से उसका आत्मबल मजबूत हुआ है। शिक्षक बनने पर उसे कक्षा में पढ़ाने की परेशानी नहीं होग ।
एमए पास रितु कहती हैं कि शिक्षा वह भंडार है, जो जमा करने से घटता और दान करने से बढ़ता है। शिक्षा का फायदा समाज को मिल रहा है। वह शिक्षा कैसी, जिसका फायदा समाज को नहीं मिले। अपने लिए तो दुनिया कमाती ह ।
बीए पास, जेबीटी और एचटेट क्वालीफाइ निशा कहती है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरने के कारण अभिभावकों का स्कूल से मोहभंग होता जा रहा है। बड़े लोग निजी स्कूल की ओर भाग रहे हैं, गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के बच्चे आज भी सरकारी स्कूल में ही पढ़ते हैं। उसके पास निशुल्क शिक्षा ग्रहण करने वालों में 99 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूल के हैं, जिन्हें निजी स्कूल के बच्चों की तरह सक्षम बनाया जा रहा है।
बीए और जेबीटी पास रजनी कहती है कि समाज को बेटियों को बोझ नहीं समझना चाहिए। बेटी वह सभी काम कर सकती है, जो बेटा कर सकता है। बेटियों में शिक्षा के प्रति अलख जगाने के लिए उसने निशुल्क अध्ययन केंद्र ज्वाइन किया। खासकर बेटियों को शिक्षित बनाने पर उसका विशेष जोर है। वह नहीं चाहती की गांव की कोई बेटी अशिक्षित रहे।