निगम के रिकॉर्ड से पार्षद हरीश का इस्तीफा गायब
अरुणेश, पानीपत नगर निगम में डर्टी पॉलिटिक्स का खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। करीब 13 माह पहले
अरुणेश, पानीपत
नगर निगम में डर्टी पॉलिटिक्स का खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। करीब 13 माह पहले दिए गए पूर्व पार्षद हरीश शर्मा के इस्तीफे को ही गायब कर दिया गया है। अब इस्तीफे की मूल कॉपी न रिकॉर्ड में है और न यह मंजूर होगा। दैनिक जागरण की ओर से आरटीआइ के तहत मांगी गई सूचना के बाद निगम ने पार्षद शर्मा का इस्तीफा मंजूर कराने के लिए शहरी निकाय विभाग के निदेशालय को रिमाइंडर भेजने का निर्णय लिया है।
इसके तहत निगम आयुक्त शिव प्रसाद शर्मा ने संबंधित शाखा को इस बारे में तत्काल रिमांइडर भेजने को कहा है, जिससे कि इस्तीफे की मूल प्रति आते ही पार्षद का इस्तीफा स्वीकृत किया जा सके।
यहां बता दें कि हरीश शर्मा ने 27 मई 2014 को वार्ड 3 में विकास न होने के आरोप लगाते हुए पार्षद पद से इस्तीफा तत्कालीन निगम आयुक्त को दे दिया था। इसके बाद निगम आयुक्त इस्तीफा स्वीकृत करने के बाद शहरी निकाय विभाग के निदेशक को इस्तीफा भेजते हुए मार्ग दर्शन मांगा था। इस पर शहरी निकाय विभाग के निर्वाचन संबंधी सहायक निदेशक ने 24 जुलाई 2014 को नगर निगम अधिनियम 1994 की धारा 34-2 के तहत इस्तीफा स्वीकृत करने को कहा था। इसके तहत इस्तीफा स्वीकृत करने का अधिकार निगम आयुक्त के पास ही है। निर्वाचन कार्यालय ने मार्गदर्शन तो दे दिया, लेकिन शर्मा के इस्तीफे की मूल प्रति निगम को वापस नहीं की। इसे देखते हुए निगम आयुक्त ने एक बार फिर निदेशालय को पत्र लिखकर इस्तीफे की मूल प्रति मांगी, लेकिन निदेशालय की ओर से यह नहीं भेजी गई।
सूत्रों के अनुसार इसके बाद स्थानीय निगम प्रशासन ने एक विशेष संदेशवाहक को शहरी निकाय के निदेशालय बाइहैंड लाने के लिए भेजा। संदेशवाहक ने निदेशालय से लौटकर सूचना दी कि इस्तीफे की मूल प्रति वहां से गायब है।
इस मुद्दे पर निगम प्रशासन ने आगामी विभागीय कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साध ली। इस खेल का खुलासा आरटीआइ में दैनिक जागरण को दिए गए विभागीय दस्तावेज से हुआ है। इसके तहत शहरी निकाय विभाग द्वारा इस्तीफे की मूल प्रति रिकार्ड में उपलब्ध होने का दावा किया गया है। इस आशय की सूचना मिलने पर निगम प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है, बल्कि पार्षद भी हैरान है। यहां तक कि इस मामले में पार्षद हरीश शर्मा यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ चुके हैं कि अब उनके वार्ड में विकास हो रहा है। इस्तीफा दिए गए एक साल से अधिक का समय हो गया है। ऐसे में अब उनके इस्तीफे का कोई औचित्य नहीं रह गया है।
वर्जन
पार्षद हरीश शर्मा का इस्तीफा इसलिए नहीं स्वीकृत किया गया था कि उसकी मूल प्रति निगम के पास नहीं है। इस्तीफा स्वीकृत करने के लिए निगम प्रशासन निदेशालय को मूल प्रति वापिस लेने के लिए रिमाइंडर भेज रहा है।
शिव प्रसाद शर्मा, नगर निगम आयुक्त