पेंशन के लिए एक साल बाद लिया दोबारा जन्म पेंशन के लिए एक वर्ष बाद पुनर्जन्म
जागरण विशेष मृत्यु प्रमाण पत्र देखे बिना विभाग ने काट दी 21 वृद्धों की पेंशन झूठी मिली सरपंच की
जागरण विशेष
मृत्यु प्रमाण पत्र देखे बिना विभाग ने काट दी 21 वृद्धों की पेंशन
झूठी मिली सरपंच की सूचना
अरुणेश, पानीपत
पेंशन के मामले में जिला समाज कल्याण विभाग के लिए सरपंच और कर्मचारी ही सबकुछ हैं। सरपंच ने हां कह दी तो पेंशन जारी हो जाएगी और ना कह दिया तो विभाग पेंशन रोक देगा, क्योंकि विभाग के पास पेंशनधारकों का जीवित या मृत का रिकॉर्ड नहीं है। यही कारण है कि सरपंचों और पेंशन वितरण कर्मचारियों के कहने मात्र पर समाज कल्याण विभाग ने लगभग एक में जिले के 21 बुजुर्गो की पेंशन काट दी। पीड़ित पेंशनधारकों ने विभाग में जीवित होने का प्रमाण प्रस्तुत कर किया। ऐसे में विभाग के लिए इन्हें पेंशन दिलाना सरदर्द बन गया। विभाग ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाए मुख्यालय से अनुमति लेकर इन्हें पेंशन देना शुरू कर दिया है। इस आशय का खुलासा समाज कल्याण विभाग की ओर से दैनिक जागरण को दिए गए आरटीआइ में हुआ है।
जिला समाज कल्याण अधिकारी अश्वनी मदान ने स्वीकार किया है कि 2011 के दौरान बुढ़ापा पेंशन की जांच में जिले के नूरवाला गांव में सर्वाधिक 361 अयोग्य पाए गए थे। जांच के आधार पर उनकी पेंशन रोक दी गई थी।
1 जनवरी 2014 से 1 फरवरी 2015 के दौरान 21 जीवत पेंशन धारकों के पेंशन मृतक दिखाये जाने के कारण रोके जाने का हवाला देते हुए यह स्वीकार किया है कि इन सभी की पेंशन इसलिए रोक दी गई थी पेंशन से संबंधित सरपंच और कर्मचारियों ने गलत सूचना दी थी। सूचना के आधार पर ही कंप्यूटर ऑपरेटर ने इनकी पेंशन रोक दी थी, लेकिन सच्चाई सामने आने के बाद इन सभी 21 बुजुर्गो की पेंशन फिर से चालू कर दी गई है।
इन्हें बताया गया था मृतक
धनो - बापौली
खजानी - मनाना
पुष्पा- पानीपत वार्ड 21
अनिल- पानीपत वार्ड 1
कर्ण सिंह - बांध
जीता- पलरी
मदनलाल - पानीपत वार्ड 2
साधु राम- बापौली
रोशनी- इसराना
बुगली- पानीपत वार्ड 14
शकुंतला- पानीपत वार्ड 9
बीरो देवी- पानीपत वार्ड 18
प्रेमो- नारा
संतोष- डुमियाना
शीला- उरलाना खुर्द
लक्ष्मी- मांडी
लेखराम - जौरासी सराफ
संतोष- पानीपत वार्ड 4
प्रेमचंद- पानीपत वार्ड 10
अमरीक सिंह- पानीपत वार्ड 21
बिमला- बड़ौली।