बासमती धान को ऊपर से काटते वक्त रखे समय का ध्यान
जागरण संवाद केंद्र, पानीपत : बासमती धान अधिक बढ़ने पर अधिकांश किसान फसल को ऊपर से काट रहे हैं। ऐसा धान की फसल को गिरने से बचाने के लिए किया जा रहा है। वैसे तो बासमती धान को ऊपर से कटाने से फसल की पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन रोपाई के 60 दिनों बाद काटने से नुकसान हो सकता है। ऐसे में बासमती धान की कटाई से पहले विशेषज्ञों की सलाह लेना जरूरी है।
आमतौर पर बासमती धान के पौधे अधिक लंबे हो जाते हैं। धान के पौधे नाजुक होते हैं और थोड़ी सी हवा चलते ही लंबा पौधा गिर जाता है। इसलिए किसान बासमती धान को ऊपर से काट देते हैं, लेकिन पौधों की कटाई करते समय खास बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बासमती धान के पौधे अधिक लंबे हो जाएं तो रोपाई के 55 से 60 दिनों के अंदर ऊपर से कटाई कर सकते हैं। अगर 60 दिनों के बाद फसल की कटाई करेंगे तो इसका सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ेगा। निर्धारित समय के बाद ऊपर से फसल काटने से पौधे में पत्तों की संख्या कम हो जाएगी, जिससे पौधा पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं बना सकेगा। जब पौधे को पर्याप्त खुराक नहीं मिलेगी तो फसल की पैदावार पर असर पड़ेगा।
कटे हुए पत्ते को पशुओं को न खिलाएं
बासमती धान को ऊपर से कटाने के बाद पशुओं को न खिलाएं। विशेषज्ञों का कहना है बासमती धान के पत्ते नुकीले होते हैं। अगर कटे हुए पत्ते पशु खाएंगे तो पशुओं के मुंह को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए बासमती धान को ऊपर से काटने के बाद फेंक दें।
समय का ध्यान रखना जरूरी : गर्ग
कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजबीर गर्ग का कहना है कि बासमती धान को ऊपर से काटने से पहले समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। रोपाई के 60 दिनों बाद धान की ऊपर से कटाई करने से फसल की पैदावार पर असर पड़ेगा। इसलिए विशेषज्ञों की सलाह पर ही धान की ऊपर से कटाई करें।
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