वैज्ञानिक तरीके से उगाएं बासमती धान : सेतिया
जागरण संवाद केंद्र, पानीपत : ऊझा गांव के कृषि विज्ञान केंद्र में बुधवार को बासमती धान पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य बासमती धान का निर्यात बढ़ाने के लिए उत्तम किस्म की बासमती पैदा करना था। केंद्र प्रभारी डॉ. आजाद सिंह दहिया ने कहा है कि किसान रसायनों का बेतहासा प्रयोग करते हैं, जिससे धान में घातक रसायन के अंश चले जाते हैं। यह अंश अंतरराष्ट्रीय मानकों से अधिक होता है इसलिए हमारा चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी जगह नहीं बना पाता है। उन्होंने धान की फसल में आने वाली बीमारियां व उनकी रोकथाम के बारे में बताया।
चावल निर्यात समूह के विजय सेतिया ने कहा कि किसान बासमती धान की खेती वैज्ञानिक तरीके से करें। धान में आवश्यकता अनुसार ही रसायनों का प्रयोग करना चाहिए। सरकार व निर्यातक बासमती धान के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के वैज्ञानिक डॉ. रितेश ने बताया कि बासमती चावल के निर्यात की अपार की अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए किसानों का सहयोग बहुत जरूरी है। कार्यशाला के संयोजक डॉ. राजबीर गर्ग ने किसानों को बासमती धान उगाने की उत्तम शस्य क्रियाओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि बासमती धान प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा करती है। डॉ. गर्ग ने धान के हर पहलू पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया और धान की सीधी बिजाई की जानकारी दी। मृदा वैज्ञानिक डॉ. हरिराम मलिक ने बासमती धान में जल व पोषक तत्वों के प्रबंधन से अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. सुरेश फौर ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर राजेंद्र रावल, वजीर, प्रीतम सिंह, रमेश, बलबीर, अजीत, सतबीर व वेद सैनी आदि उपस्थित रहे।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर