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जाट आंदोलन: सरकार और आंदोलनकारियों में तनातनी, सहमी जनता

हरियाणा में जाट आंदोलन की आहट से माहौल लगातार गर्मा रहा है। जाट संगठन 29 जनवरी से आंदोलन केलिए तैयारियों में जुटे हुए हैं, दूसरी ओर राज्‍य सरकार के तेवर भी बेहद सख्‍त हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 23 Jan 2017 02:39 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jan 2017 04:11 PM (IST)
जाट आंदोलन: सरकार और आंदोलनकारियों में तनातनी, सहमी जनता
जाट आंदोलन: सरकार और आंदोलनकारियों में तनातनी, सहमी जनता

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में जाट आंदोलन को लेकर लगातार टकराव के हालात बन रहे हैं। जाट संगठनाें 29 जनवरी से शुरू होने वाले आंदाेलन की तैयारियों में जुटे हुए हैं। वे काफी अाक्रामक तेवर में हैं और आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। दूसरी आेर, राज्य सरकार इस बार किसी भी कीमत पर हालात बेकाबू होने न देने के लिए कृत संकल्प है। इसके लिए वह कोई भी कदम उठाने को तत्पर है। पुलिस और खुफिया विभाग पूरी तरह सक्रिय हाे गया है। पुलिस काे हालत पर काबू रखने के लिए कोई भी कदम उठाने और बल प्रयोग करने काे कहा है।

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जाट संगठनों का कहना है कि भाजपा सरकार पर भरोसा नहीं का जा सकता है। उनका आराेप है कि सरकार तीन समझौता वार्ताओं से मुकर चुकी है। यही कारण्ा है कि जाट उग्र हैं। दूसरी ओर, राज्य सरकार का रुख बेहद सख्त है और यह आंदोलनकारियों पर भारी पड़ सकता है।

उधर, जाटों और सरकार के बीच टकराव की आशंका के मद्देनजर आम लोगों के धड़कनें बढ़ी हुई हैं। पिछले साल फरवरी में हुए जाट आंदोलन के दौरान राज्य में 30 लोगों की मौत हो गई थी, जिस पर आज तक राजनीति हो रही है। आंदोलन के बाद सरकार ने जाटों को आरक्षण दे दिया, लेकिन आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर हो जाने से मामला अभी लटका हुआ है।

जाट अब हरियाणा में आरक्षण नहीं मांग रहे, लेकिन उनकी लड़ाई केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण दिए जाने तथा पिछली समझौता वार्ताओं के मुताबिक जाट आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेकर जेलों में बंद जाटों को रिहा कराने की है। जाटों को शांत करने के लिए सरकार उनकी मांग पूरी करने का वादा कर चुकी है, लेकिन अभी तक गिरफ्तार जाट रिहा नहीं हुए हैं।

इस बार भी आंदोलन की बागडोर अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक के हाथों में हैं, लकिन इस बार जाट संगठनाें में पहले जैसी एकता नजर नहीं आ रही है। राज्य सरकार ने हालांकि आंदोलन से निपटने की पूरी तैयारी कर रखी है, लेकिन साथ ही मलिक विरोधी गुट के नेताओं को भी भरोसे में लिया जा रहा है, ताकि आंदोलन को सिरे चढ़ने से पहले ही बिना बल इस्तेमाल किए ढीला कर दिया जाए

पिछले साल हरियाणा के माथे पर जो दाग लगा है, उसे साफ करने की चुनौती भी कम नहीं है। पंचकूला, गुरुग्राम और मेवात को छोड़कर बाकी सभी 19 जिलों में आंदोलन होंगे। इस बार शहरों के बजाय ग्रामीण इलाकों में धरने दिए जाएंगे। ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि आंदोलनकारियों का मानना है कि पिछली बार हिंसा गांवों के बजाय शहरों में हुई है। लिहाजा उन पर किसी तरह का दोष न लगे।

इसके साथ ही पुलिस महानिदेशक डॉ. केपी सिंह आंदोलनकारियों को समझाने तथा कानून व्यवस्था की स्थिति का जायजा लेने के लिए फील्ड में उतर चुके हैं। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर और गृह सचिव रामनिवास के बीच बैठकों के दौर जारी हैं। गृह सचिव अगले एक-दो दिन में खुद फील्ड में उतर सकते हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पल-पल की रिपोर्ट दी जा रही है।

शांति पूर्ण आंदोलन की उम्मीद : गृह सचिव

हरियाणा के गृह सचिव रामनिवास को इस बार का जाट आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से निपट जाने की आस है। गृह सचिव ने कहा कि जाट समुदाय के लोगों ने शांतिपूर्ण ढंग से अपना आंदोलन चलाने का भरोसा सरकार को दिलाया है।

प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट में गृह और पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ-साथ सीएमओ की कार्य प्रणाली पर अंगुली उठाने के बाद सरकार इस बार कोई ढील नहीं छोड़ने देना चाह रही है। सरकार तत्कालीन गृह सचिव पीके दास, डीजीपी यशपाल सिंघल और एडीजीपी सीआईडी शत्रुजीत कपूर को इन पदों से हटा चुकी है।

गृह सचिव ने कहा, हमारी पूरी तैयारी है और किसी को भी उपद्रव करने की कोई छूट नहीं दी जाएगी। रामनिवास ने कहा कि जाट आंदोलनकारियों को बातचीत के जरिए समझाया जा रहा है। इस काम में समाज सेवी लोग भी लगे हुए हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा।

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ये हैं जाट संगठनों की मांग

- केंद्र की नौकरियों में आरक्षण का वादा पूरा किया जाए।

- पिछले साल हिंसा व दंगों में मारे गए 30 लोगों के परिजनों को मुआवजा मिला पर नौकरी नहीं। उन्हें नौकरी भी दी जाए।

- घायलों को न मुआवजा मिला और न इलाज।

-2200 मुकदमे दर्ज किए गए मगर किसी की जांच नहीं हुई। बिना समुचित जांच के लोगों को गिरफ्तार किया गया। मुकदमे वापस लिये जाएं।

- वार्ता में सहमति के बाद भी हिंसा की घटनाओं के लि दर्ज मुकदमे वापस नहीं हुए। 60 से अधिक लोग अभी भी जेलों में बंद हैं। इन्हें तुरंत रिहा किया जाए।

- हिंसा के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। इन पर कार्रवाई की जाए।

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'' जो भी व्यक्ति कानून के दायरे में रहकर अपनी बात कहेगा, उसका स्वागत किया जाएगा। जो कानून का उल्लंघन करने की कोशिश करेगा, उस पर कानून अपनी कठोरता दिखाएगा। ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस अपनी कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। तोड़फोड़ और गैर कानूनी काम बर्दाश्त नहीं होंगे।

-डॉ. केपी सिंह, डीजीपी, हरियाणा।

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'' प्रकाश सिंह कमेटी ने जो सिफारिशें की थी, उनके आधार पर कार्रवाई के लिए ऐसे सभी अधिकारियों की अलग-अलग फाइलें हैं। सरकार द्वारा उनका अध्ययन किया जा रहा है। सब फाइलों पर अलग-अलग निर्णय लिया जाएगा।

-राजेश खुल्लर, प्रधान सचिव, सीएम हरियाणा।

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'' शांति भंग करने वालों से सरकार सख्ती से निपटेगी। लोग ऐसे किसी भी प्रकार के आंदोलन में भाग न लें, जिसमें राजनीति की जा रही है। आंदोलन को राजनीतिक रूप देना निदंनीय है। जहां तक जाट आरक्षण का विषय है, सरकार ने कानून पारित कर दिया है। अब मामला कोर्ट में लंबित है। यदि शांतिपूर्ण तरीके बात होगी तो उसे किया जाएगा। शांति भंग करने वालों से सरकार निपटेगी।

-मनोहर लाल, मुख्यमंत्री।

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'' सरकार ने अब तक हमसे कोई बात नहीं की1सरकार ने अभी तक हमसे कोई बात नहीं की। जाट आरक्षण हमारा मुद्दा नहीं है। इस पर न्यायालय का फैसला हमें मंजूर होगा। केंद्र में आरक्षण के लिए आज तक वेंकैया नायडू कमेटी की कोई बैठक नहीं हुई। राजनीतिक दुर्भावना और अपने-पराए की सोच से ऊपर उठकर सरकार काम करे।

-यशपाल मलिक, अध्यक्ष, अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति।




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