मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट पर हाई कोर्ट ने उठाए सवाल, कहा- शिक्षित व संपन्न ही उठा पा रहे लाभ
हाई कोर्ट ने Medical termination of pregnancy act के प्रावधान पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार समेत चंडीगढ़ प्रशासन पंजाब व हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (Medical termination of pregnancy act) के प्रावधान पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार समेत चंडीगढ़ प्रशासन, पंजाब व हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस राजबीर सेहरावत ने कहा कि इस एक्ट के तहत अगर किसी गर्भवती महिला का भ्रूण किसी घातक रोग या विकृति से ग्रसित है तो 20 सप्ताह के भ्रूण का मेडिकल बोर्ड की इजाजत से गर्भपात किया जा सकता है, लेकिन अगर भ्रूण 20 सप्ताह से अधिक का हो तो उसके लिए हाई कोर्ट की इजाजत लेनी पड़ती है।
हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई केस में हाई कोर्ट 20 सप्ताह से अधिक आयु के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत देता रहा है, लेकिन इसका लाभ कुछ शिक्षित और संपन्न लोगों को ही मिल पाता है और वह समय पर गर्भपात करवा मां की जान को बचा पाते हैं, पर आम और गरीब लोगों का क्या, जिन्हेंं कोई कानूनी सहायता मिल ही नहीं पाती है, ऐसे में न सिर्फ मां की जान को खतरा होता है, बल्कि अपंग और असहाय बच्चा भी जन्म ले लेता है।
ऐसे में इस प्रावधान पर कई सवाल खड़े होते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि इससे पहले कि इस प्रावधान पर गौर किया जाए, बेहतर होगा कि इस मामले में केंद्र सहित पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ का पक्ष जाना जाए। लिहाजा हाई कोर्ट ने मामले में इन सभी को 10 अगस्त के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया। हाई कोर्ट ने यह आदेश एक महिला द्वारा गर्भपात की इजाजत देने की मांग पर सुनवाई करते हुए दिए।
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