SYL पर पंजाब व हरियाणा तीन हफ्ते में दाखिल करे जवाब : सुप्रीम कोर्ट
पंजाब सरकार ने एसवाइएल मामले मेंं विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय मांगा है। इसके बाद कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा दोनों से तीन हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
जेएनएन, चंडीगढ़। सतलुज यमुना लिंक नहर मामले में पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा दोनों को इस मामले पर अपना जवाब तीन सप्ताह में दाखिल करने काे कहा है। अदालत में अब इस मामले पर अगली सुनवाई 15 फरवरी को होगी।
बता देंं कि सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाइएल) मामला दोनों राज्यों पंजाब एवं हरियाणा के लिए बेहद संवेदनशील हाे गया है। दोनों राज्याें में इस पर जमकर राजनीति हो रही है। पिछले दिनों इस पर हुए घटनाक्रमों से दोनों राज्यों के बीच काफी तल्खी का माहौल पैदा हो गया हो गया था। पंजाब अपने यहां पानी की कमी बता कर किसी भी सूरत में हरियाणा काे एसवाइएल नहर से पानी देने को तैयार नहीं है।
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कुछ माह पहले इस मामले मेंं राष्ट्रपति संदर्भ पर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद दाेनों राज्यों की राजनीति में हंगामा पैदा हो गया था। पंजाब सरकार ने साफ कह दिया कि किसी भी फैसले और निर्देश के बावजूद वह हरियाणा या किसी अन्य राज्य काे पानी नहीं देगी। पंजाब के अन्य दलों ने भी ऐसा ही एलान कर दिया।
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पंजाब सरकार ने इसके बाद एक के बाद एक कदम उठाकर माहौल को गरमा दिया। पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रस्ताव पारित कर एसवाइएल नहर के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन को इससे मुक्त इसके मालिकों को सौंपा जाने लगा। इसके बाद कई जगह लोगों ने बनी हुई नहर को मिट्टी से पाटना शुरू कर दिया। इस पर हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद नहर को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हालात पर नजर रखने के लिए रिसीवर भी नियुक्त किए। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अमृतसर संसदीय सीट से सांसद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लाेकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने भी पंजाब विधानसभा की सदस्यता से सामूहिक इस्तीफा दे दिया। पंजाब विधानसभा चुनाव में भी एसवाइएल पमुख मुद्दा बना हुअा है।
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उधर, हरियाणा में भी इस मामले को लेकर हंगामे की स्थिति रही। हरियाणा के सभी दलों ने बैठक कर एक संयुक्त रणनीति तैयार की। इसके बाद एक सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की।