निजी स्कूलों ने बताया उन्हें क्यों चाहिए फीस, सरकार के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती
निजी स्कूलों ने लॉकडाउन के दौरान की फीस के अलावा किसी भी तरह के फंड न लेने के हरियाणा सरकार के आदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
जेएनएन, चंडीगढ़। निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस के अलावा अभिभावकों से किसी भी तरह के फंड न लेने व फीस बढ़ोतरी न करने के सरकार के आदेश को निजी स्कूलों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस राजमोहन ने शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और स्कूली शिक्षा विभाग के निदेशक को 4 जून के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया हैं।
हरियाणा विद्यालय संघ ने अपने वकील पंकज मैनी के माध्यम से हरियाणा सरकार द्वारा 12 अप्रैल 2020 से आठ मई 2020 तक जारी उन सभी आदेश पर रोक लगाने की मांग की है, जिसमें सरकार ने निजी स्कूलों को फीस न बढ़ाने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट को बताया गया कि कोरोना वायरस के चलते स्कूल कई महीनों से बंद पड़े हैं। इसी दौरान हरियाणा सरकार की ओर से प्रशासनिक आदेश जारी करते हुए कहा गया कि स्कूल फार्म छह के अनुरूप फीस में वृद्धि नहीं करेंगे और ट्यूशन फीस के अतिरिक्त अन्य फीस फिलहाल नहीं वसूली जाएगी।
याचिका में यह भी बताया गया कि सरकार के आदेश उसके खुद के नियमों के खिलाफ है। सभी स्कूलों को एक जनवरी तक अपना फार्म छह शिक्षा विभाग को भरकर देना होता है, जिसमें स्कूल की आर्थिक स्थिति, जरूरत व अन्य जानकारी होती है। सभी स्कूलों ने जनवरी माह में यह फार्म भर दिया था।
स्कूलों ने फार्म छह में नए सत्र से फीस बढ़ाने की योजना थी, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया था, लेकिन अब सरकार इस तरह के आदेश जारी कर अपने आदेश की अवेहलना कर रही है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने बताया कि स्कूलों के पास भवन की देखरेख तथा अन्य प्रकार के खर्च के लिए केवल फीस ही एकमात्र माध्यम होती हैं। ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने तथा ऑनलाइन पढ़ाई के लिए इंतजाम करने के लिए फंड की व्यवस्था बिना फीस वसूल किए नहीं की जा सकती।
याचिका में बताया गया है कि स्कूल खुलने के बाद आधारभूत सुविधा, बच्चों की सुरक्षा, स्टाफ व स्कूल को सैनिटाइज करने पर काफी खर्च करना पड़ेगा। दूसरी तरफ कोरोना के चलते मार्च माह के बाद स्कूल को बच्चों से फीस भी नहीं आई रही, जिस कारण काफी स्कूल आर्थिक संकट में है। सरकार स्कूलों को कोई छूट या आर्थिक सहायता देने के बदले उन पर बंदिश लगाकर नियमों के खिलाफ काम कर रही है। सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत फंड न लेने व फीस न बढ़ाने के आदेश जारी किए हैंं जो कानूनन अनुचित है। दलील दी गई है कि स्कूल हरियाणा शिक्षा नियम से चलते हैं न कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत, इसलिए कोर्ट सरकार के आदेश पर रोक लगाने का आदेश जारी करे।