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प्राइवेट स्कूलों ने सरकार से मांगा राहत पैकेज, कहा- स्कूल बसों के टैक्स और बिजली बिल हों माफ

हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ व इंटीग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसायटी ने की मांग है कि सरकार निजी स्कूलों का राहत पैकेज दे। साथ ही स्कूल बसों का टैक्स व बिजली बिल माफ करे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 10:04 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 10:04 AM (IST)
प्राइवेट स्कूलों ने सरकार से मांगा राहत पैकेज, कहा- स्कूल बसों के टैक्स और बिजली बिल हों माफ
प्राइवेट स्कूलों ने सरकार से मांगा राहत पैकेज, कहा- स्कूल बसों के टैक्स और बिजली बिल हों माफ

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ व इंटीग्रेटेड प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसायटी ने लॉकडाउन अवधि के दौरान स्कूल बसों के टैक्स व बिजली बिल माफ करने की मांग की है। साथ ही अस्थाई मान्यता वाले स्कूलों को एक साल की एक्सटेंशन और सभी बच्चों के खाते में हर महीने 1125 रुपये डालने की गुजारिश की, ताकि वह फीस जमा कर सकें।

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चंडीगढ़ प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेश अध्यक्ष सत्यवान कुंडू, उपप्रधान सौरभ कपूर व संरक्षक तेलूराम ने कहा कि बसों का किराया नहीं मिलने से स्कूल संचालक बैंक लोन की किस्तें व बीमा भरने में असमर्थ हो गए हैं। चुनिंदा स्कूलों को छोड़कर अन्य स्कूलों में पांच फीसद फीस भी जमा नहीं हुई। इससे करीब 20 हजार स्कूलों के लाखों कर्मचारियों का वेतन तीन महीने से रुका हुआ है।

राहत पैकेज की मांग करते हुए कुंडू ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की तर्ज पर निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के खाते में हर महीने 1125 रुपये डाले जाएं। नियम 134 के तहत क्षतिपूर्ति की बकाया राशि जारी करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों की स्थाई मान्यता को दस वर्ष पूरे हो चुके हैं, उनकी मान्यता को रिन्यू करने के बजाय एफिडेविट लेकर मान्यता प्रदान कर दी जाए। करीब 3200 अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों को एक साल की एक्सटेंशन मिले। 

इससे पहले, फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर से भी मिल चुका है। फेडरेशन ने प्राइवेट स्कूलों के बचाव के लिए आर्थिक पैकेज और राहत देने की मांग की। फेडरेशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री से मिला और उन्हेंं अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने शिक्षा मंत्री से कहा कि स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट संबंधी पत्र को तुरंत निरस्त किया जाए। शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद ही निजी स्कूलों ने पिछले वर्षों की बकाया फीस और अप्रैल से जून तक की फीस के लिए अभिभावकोंं से कहा। इसके बावजूद उन पर किसी तरह का जोर नहीं डाला गया। स्कूल बच्चों की आनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं। इसके लिए हर शिक्षक को स्कूल आना पड़ रहा है अथवा वह अपने घर से ही काम कर रहा है।

बता दें, निजी स्कूल फीस का मामला हाई कोर्ट में चल रहा है। अभिभावकों का कहना है कि लॉकडाउन होने के कारण उनकी आय प्रभावित हुई है। इस याचिका में बताया गया है कि सभी निजी शिक्षण संस्थाएं गैर-लाभ के इरादे से स्थापित की गई हैं, लेकिन निजी स्कूलों के पास करोड़ों रुपये का रिजर्व फंड है। ऐसे में निजी स्कूलों द्वारा बढ़ी हुई व ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस लेना गरीब अभिभावकों के साथ नाइंसाफी है।


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