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डेरे की पावर को नजरअंदाज नहीं कर पाते राजनीतिक दल

राजनीतिक दल डेरा सच्चा सौदा की पावर को नजरअंदाज नहीं कर पाते। चुनाव में डेरा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोर्ट का फैसला विपरीत आया तो डेरा समर्थकों को काबू करना चुनौती होगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 22 Aug 2017 11:03 AM (IST)Updated: Fri, 25 Aug 2017 12:24 PM (IST)
डेरे की पावर को नजरअंदाज नहीं कर पाते राजनीतिक दल
डेरे की पावर को नजरअंदाज नहीं कर पाते राजनीतिक दल

जेएनएन, चंडीगढ़। साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख पर आने वाले सीबीआइ कोर्ट के फैसले के मद्देनजर हरियाणा और पंजाब सरकारों की सांसें फूली हुई हैैं। विपरीत फैसला आने की स्थिति में डेरा समर्थकों को काबू करना जहां हरियाणा सरकार के लिए चुनौती होगा, वहीं कानून व्यवस्था बनाए रखने में सरकार के पसीने छूट रहे हैं।

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देश की आजादी के करीब एक साल बाद अस्तित्व में आए इस डेरे का हरियाणा और पंजाब की राजनीति में पूरा दखल है। इन दोनों राज्यों के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में भी डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के अनुयायी काफी संख्या में फैले हुए हैं। पिछले कई चुनाव में डेरा प्रमुख के एक इशारे ने हरियाणा और पंजाब में सरकारें बनाने-बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई है।

चुनाव में किस पार्टी का समर्थन करना है और किसकी अनदेखी की जानी है, इसका निर्णय हालांकि डेरा प्रमुख स्वयं करते हैं, लेकिन इशारा डेरे की राजनीतिक विंग की तरफ से आता है, जिसके बाद डेरा अनुयायी मतदान करते हैैं। पिछले चुनाव में हरियाणा में डेरे ने भाजपा का समर्थन किया था, जिसके बाद दो दर्जन सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीत की स्थिति में पहुंच पाए थे।

साध्वी यौन शोषण मामले में करीब 15 साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद सीबीआइ पंचकूला की विशेष अदालत शुक्रवार को डेरा प्रमुख पर अपना फैसला सुनाएगी। इस फैसले के मद्देनजर सरकार की सांसें फूली हुई हैैं, क्योंकि इससे पहले करौंथा आश्रम के संचालक रामपाल की गिरफ्तारी और दो बार हुए जाट आंदोलनों में हरियाणा की शांति व्यवस्था दांव पर लग चुकी है।

हरियाणा और पंजाब दो राज्य ऐसे हैैं, जहां डेरे का पूरा दखल और प्रभाव है। 2007 के विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने पंजाब में कांग्रेस का समर्थन कर मालवा क्षेत्र में इस पार्टी को बढ़त दिलाई थी। 2014 के विधानसभा चुनाव में डेरे ने हरियाणा में भाजपा का समर्थन किया था, जबकि पंजाब में भी इसी पार्टी के प्रति नरममिजाज दिखाया। इससे पहले के चुनाव में डेरा हरियाणा में कांग्र्रेस और इनेलो का भी समर्थन कर चुका है।

पंजाब के मालवा क्षेत्र में 13 जिले आते हैं, जिनमें पांच दर्जन विधानसभा सीटें हैैं। हरियाणा के नौ जिलों की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर डेरे का पूरा दखल रखता है। हरियाणा में 15 से 20 लाख अनुयायी डेरे से जुड़े हैैं, जिनके नियमित सत्संग होते हैैं। ऐसे में यदि कोई भी सरकार विपरीत कार्रवाई करती है तो उसे राजनीतिक नुकसान का डर हमेशा सताता रहता है। प्रदेश में सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, कैथल, जींद, अंबाला, यमुनानगर और कुरुक्षेत्र जिले ऐसे हैैं, जहां डेरा सच्चा सौदा का पूरा असर महसूस किया जा सकता है।

केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री डेरे में नतमस्तक

हरियाणा सरकार के तीन मंत्री और एक केंद्रीय मंत्री डेरा सच्चा सौदा में नतमस्तक हो चुके हैैं। प्रदेश के खेल मंत्री अनिल विज ने रुमाल छू खेल प्रतियोगिता को बढ़ावा देने के लिए 50 लाख रुपये का अनुदान डेरे को दिया, जबकि सहकारिता राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर ने खेल के लीग के दौरान ही 11 लाख रुपये और केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने स्टेडियम बनाने के लिए 30 लाख रुपये की मदद दी। शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने एक सप्ताह पहले ही डेरा मुखी के जन्मदिन पर 51 लाख रुपये का अनुदान डेरे के लिए देने की घोषणा की है।

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