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जस्टिस ढींगरा ने रिपोर्ट सौंपने के लिए मांगा 6 सप्‍ताह का समय

रार्बट वाड्रा की कंपनी के भूमि सौदे की जांच कर रहे जस्टिस एसएन ढींगरा अभी रिपोर्ट नहीं सरकार को नहीं साैंपेगे। उन्‍होंने हरियाणा सरकार से इसके लिए छह सप्‍ताह का और समय मांगा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2016 07:13 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2016 08:30 PM (IST)
जस्टिस ढींगरा ने रिपोर्ट सौंपने के लिए मांगा 6 सप्‍ताह का समय

जेएनएन, चंडीगढ़। राबर्ट वाड्रा की कंपनी के भूमि सौदों व ऐसे अन्य मामलों की जांच कर रहा जस्टिस एसएन ढींगरा अभी अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपेंगे। जस्टिस एसएन ढींगरा ने बृहस्पतिवार काे इसके लिए राज्य सरकार से डेढ़ महीने का समय मांग लिया। चर्चा थी कि जस्टिस ढींगरा ने रिपोर्ट तैयार कर ली है और किसी भी समय इसे राज्य सरकार को पेश कर देेंगे, लेकिन अचानक हुए घटनाक्रम में उन्होंने सरकार से रिपोर्ट पेश करने के लिए समय मांग लिया। आयोग का कहना है कि अभी कुछ और अधिकारियों से पूछताछ की जानी है।

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जस्टिस ढींगरा ने कहा, जमीनों के लाइसेंस मामले में कुछ अफसरों की भूमिका की जांच करनी बाकी

ढींगरा आयोग कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट होस्पिटेलिटी समेत विभिन्न कंपनियों के जमीनों के लाइसेंस दिए जाने में अनियमितताओं की जांच कर रहा है। जस्टिस ढींगरा आयोग का कार्यकाल बृहस्पतिवार को पूरा हो रहा था और उनके द्वारा अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दिए जाने की संभावना थी। लेकिन, जस्टिस ढींगरा देर शाम तक चंडीगढ़ नहीं पहुंचे। इसके बाद जस्टिस ढींगरा ने मुख्य सचिव को ई-मेल भेजकर कहा है कि उन्हें रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कुछ समय और चाहिए। इसके लिए उन्होंने छह सप्ताह का समय मांगा है।

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दो दिन पहले तक रिपोर्ट तैयार हो जाने का दावा करने वाले जस्टिस ढींगरा ने बृहस्पतिवार को नाटकीय ढंग से कहा कि गुडग़ांव में विभिन्न कंपनियों को जारी हुए लाइसेंस में कुछ अफसरों के नाम शामिल हैं तथा उन्हें फायदा पहुंचाने की सूचनाएं मिली हैैं। इसलिए, वह अपनी रिपोर्ट में इन बिंदुओं पर भी पूरी पड़ताल करना चाहते हैं।

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मई 2015 में गठित जस्टिस ढींगरा आयोग ने तीन एक्सटेंशन के बाद 30 जून 2016 को अपना कार्यकाल पूरा कर लिया था। बृहस्पतिवार को उनके रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना थी। मीडिया पूरे दिन उनके सचिवालय आने का इंतजार करता रहा, लेकिन शाम को जस्टिस ढींगरा द्वारा मुख्य सचिव को ई-मेल भेजकर समय मांग लिए जाने की जानकारी सामने आई।

हुड्डा ने उठाए थे ढींगरा आयोग की वैधानिकता पर सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने बुधवार को जस्टिस ढींगरा आयोग की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी को पत्र लिखकर आयोग को भंग करने की मांग की थी। हुड्डा ने कहा है कि जस्टिस ढींगरा आयोग का गठन करने के लिए कैबिनेट की अप्रूवल नहीं ली गई थी और वह रिपोर्ट दाखिल करने से पहले खुद ही सूचनाएं लीक रहे हैैं।

गोपाल सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट के प्ले स्कूल को लेकर विवादों में जस्टिस ढींगरा

गुडग़ांव के पटौदी रोड पर सारीखुर्द जटौला गांव में बन रहे एक प्ले स्कूल के लिए तीन महीने के भीतर सड़क का काम शुरू कर दिए जाने के मामले में जस्टिस एसएन ढींगरा विवादों में आ गए। यह प्ले स्कूल जस्टिस गोपाल सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से बनवाया जा रहा है। जस्टिस एसएन ढींगरा इस ट्रस्ट के चेयरमैन हैं।

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उन्होंने 8 दिसंबर 2015 को डीसी गुडग़ांव को प्ले स्कूल तक सड़क बनवाने का आग्रह एक अर्जी के जरिए किया था। गुडग़ांव के उपायुक्त ने उसी दिन जस्टिस ढींगरा की अप्लीकेशन पर सड़क को जिला प्लान में शामिल करने के आदेश जारी कर दिए थे। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने सड़क के लिए 95 लाख रुपये भी मंजूर कर दिए और सड़क पर काम शुरू हो चुका है।

जस्टिस ढींगरा की नजर में चैरिटेबल ट्रस्ट के मामले में कुछ भी गलत नहीं

जस्टिस एसएन ढींगरा प्ले स्कूल के लिए सड़क की परियोजना को छोटे बच्चों के लिए शानदार मानते हैं। उनका कहना है कि इससे छोटे बच्चों का भला होगा। गांव के लोगों को सड़क मिल जाएगी। यह जनहित का काम है। अभी स्कूल चालू भी नहीं हुआ है, लेकिन कांग्रेस के हाथ जस्टिस ढींगरा व सरकार को घेरने के लिए बड़ा मुद्दा लग गया है।

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जस्टिस ढींगरा की रिपोर्ट अब निष्पक्ष नहीं हो सकती : सुरजेवाला

कांग्रेस इस पूरे मामले को राजनीतिक मुद्दा बनाने का कोई मौका नहीं चूक रही है। इस मामले के सामने आने के बाद कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन रणदीप सिंह सुरजेवाला ने जस्टिस ढींगरा आयोग को भंग करने की मांग कर डाली है। सुरजेवाला ने कहा कि ट्रस्ट के चेयरमैन के नाते जस्टिस एसएन ढींगरा ने सत्तारूढ़ भाजपा सरकार से फायदा उठाया है, जबकि आयोग के चेयरमैन के नाते वह ऐसा नहीं कर सकते। इसलिए, इस आयोग द्वारा पेश की जाने वाली रिपोर्ट पर यकीन नहीं किया जा सकता। लिहाजा आयोग को भंग किया जाना चाहिए।

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