हरियाणा में 67 प्रतिशत आरक्षण को सही-गलत ठहराने में उलझी सरकार
हरियाणा सरकार ने आर्थिक आधार पर दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण की नोटिफिकेशन की कापी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में पेश की। जाट आरक्षण पर दोनों पक्षों की जमकर बहस हुई।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में जाटों सहित 6 जातियों को दिए गए आरक्षण और इसके लिए बनाए गए एक्ट के सेक्शन सी को चुनौती देने वाली याचिका पर वीरवार को भी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में बहस हुई। सरकार की तरफ से आर्थिक आधार पर दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण की नोटिफिकेशन की कापी कोर्ट में पेश की गई। दोनों पक्ष आरक्षण के हक में और विरोध में अपनी दलीलें देते रहे।
याची द्वारा दलील दी गई कि आर्थिक आधार पर दिए गए आरक्षण के कारण प्रदेश में कुल आरक्षण 67 फीसदी हो गया है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलीलें आरंभ करते हुए इंदिरा साहनी मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्टï किया है कि विशेष परिस्थितियों में और तय मानकों का अनुसरण करने के बाद ही आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो सकता है।
याची ने कहा कि हरियाणा में कुल आरक्षण 67 फीसदी है। इसका हरियाणा सरकार ने विरोध किया। इस पर याची ने कहा कि हरियाणा सरकार के एक्ट के माध्यम से 57 फीसदी आरक्षण दिया गया है, जबकि 2013 की नोटिफिकेशन के माध्यम से आर्थिक पिछड़ा वर्ग को 10 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है। ऐसे में केवल एक्ट को ही कुल आरक्षण नहीं माना जा सकता है।
हरियाणा सरकार की ओर से इस दलील का विरोध करते हुए कहा गया कि याची ने केवल जाटों सहित 6 जातियों के आरक्षण और एक्ट के सेक्शन सी को चुनौती दी है। ऐसे में इसका नोटिफिकेशन से कोई लेना देना नहीं है। याची ने कहा कि उनकी मुख्य दलील आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा होने की है और ऐसे में इस दलील के समर्थन में वह नोटिफिकेशन भी आती है। इस मामले में बहस सोमवार को भी जारी रहेगी।
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