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भगाना में नाबालिग लड़कियों से सामूहिक दुष्कर्म पर हाईकोर्ट ने मांगी स्टेटस रिपोर्ट

मार्च 2014 में भगाना में चार नाबालिग लड़कियों से गैंगरेप के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 22 Aug 2017 07:50 PM (IST)Updated: Tue, 22 Aug 2017 07:52 PM (IST)
भगाना में नाबालिग लड़कियों से सामूहिक दुष्कर्म पर हाईकोर्ट ने मांगी स्टेटस रिपोर्ट
भगाना में नाबालिग लड़कियों से सामूहिक दुष्कर्म पर हाईकोर्ट ने मांगी स्टेटस रिपोर्ट

जेएनएन, चंडीगढ़। साढ़े तीन साल पहले मार्च 2014 में हरियाणा के हिसार जिले के गांव भगाना में चार नाबालिग लड़कियों के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के बाद पीडि़त परिवार समेत उस जाति के अन्य परिवारों द्वारा गांव छोड़ने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है।

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इससे पहले मंगलवार को कोर्ट के आदेश पर गृह विभाग के विशेष सचिव नितिन यादव कोर्ट में पेश हुए। यादव ने कोर्ट को बताया कि मामले में दो पीडि़त लड़कियों का विवाह हो गया है और सरकार ने उनको मुआवजा दे दिया था। सरकार 208 परिवारों 24 घंटे बिजली व राशन के अलावा सुरक्षा उपलब्ध करवा रही है।

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सरकार के जवाब पर याची के वकील ने सवाल उठाते हुए कहा कि काफी संख्या में परिवारों का पुर्नवास नहीं किया गया है, जिस कारण आज भी कई परिवार धरनारत हैं। ऐसे में सरकार का दावा सही नहीं हैं। याची के अनुसार 212 लोगों ने उनको बताया है कि अभी तक उनको न तो राशन मिल रहा है और न ही कोई सुरक्षा उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इस पर हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई पर स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा है। हालांकि बेंच ने विशेष गृह सचिव को पेश होने से छूट दे दी।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला

गौरतलब है कि सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद कई परिवार गांव से पलायन कर गए थे। इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी, जिस पर हाई कोर्ट ने कहा था कि इन परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने के अलावा अन्य आदेश जारी नहीं किए जा सकते। बाद में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना काफी नहीं है।

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सरकार को इस घटना के बाद जो परिवार गांव छोडऩे को मजबूर हुए हैं उनके पुनर्वास और दोषियों के खिलाफ दर्ज मामलों में ठोस कार्रवाई करनी होगी। इन्हीं आदेशों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामला वापस हाई कोर्ट को भेज दिया था।


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