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हाई कोर्ट ने पूछा, स्‍कूल बसों में क्‍यों नहीं तैनात किए गए ट्रांसजेंडर

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडरों को स्कूल बसों में सहायक बनाने को लेकर हिचकिचाहट पर राज्य सरकारों की कड़ी फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा किन्नरों को तृतीय जेंडर करार दिया जा चुका है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 08:28 PM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2015 09:48 AM (IST)
हाई कोर्ट ने पूछा, स्‍कूल बसों में क्‍यों नहीं तैनात किए गए ट्रांसजेंडर

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडरों को स्कूल बसों में सहायक बनाने को लेकर हिचकिचाहट पर राज्य सरकारों की कड़ी फटकार लगाई है। हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा किन्नरों को तृतीय जेंडर करार दिया जा चुका है। वे यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में नौकरी कर रहे हैं तो राज्य सरकारें उन्हें स्कूल बसों में सहायक बनाने में क्यों हिचक रही है।

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हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि हरियाणा, पंजाब और चंंडीगढ़ प्रशासन (यूटी) 18 सितंबर तक इस मामले में पॉलिसी बनाने पर जवाब मांगा है। शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा कि ट्रांसजेंडरों को स्कूल बसों में सहायक बनाने पर राज्य सरकारों और यू.टी. ने क्या फैसला लिया है। इस पर पंजाब की ओर से मौजूद वकील ने बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से इस बारे में अप्रूवल के लिए पंजाब सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।

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हरियाणा और यूटी ने इस बारे में चुप्पी साधी। हाईकोर्ट ने इसपर सख्त रवैया अपनाते हुए कहा कि इस प्रकार इस मामले में चुप्पी ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट जब इस मामले में अपना फैसले में किन्नरों को तृतीय जेंडर करार दे चुका है तो ऐसे में राज्य सरकारों और यू.टी. को इसमें आपत्ति कैसे हो सकती है।

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इस दौरान प्राईवेट स्कूल बस एसोसिएशन की ओर से बताया गया कि कुछ स्कूलों द्वारा इसपर आपत्ति जताई जा रही है। इसपर हाईकोर्ट ने उन स्कूलों के नाम सौंपने को कहा। एसोसिएशन की ओर से अपील की गई कि स्कूलों के नाम न पूछे जाएं वे खुद ही स्कूलों से इस बारे में बातचीत कर समस्या का समाधान निकाल लेंगे।

ट्रांसजेंडरों के मामले के साथ साथ हरियाणा, पंजाब और यूटी में चलने वाली स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम और इसकी मॉनिटरिंग के लिए बनाई जाने वाली व्यवस्था पर भी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि आखिर ऐसा क्या उपाय हो सकता है जिससे स्कूल बसों में आने या जाने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए उनके परिजन या स्कूल बस की स्थिति और रूट पर निगाह रख सकें।

हाईकोर्ट ने पूछा कि आखिर विभिन्न कैब में दी जाने वाली लोकेशन ट्रैकर व्यवस्था एप में माध्यम से परिजनों और स्कूल प्रबंधन को सौपने की दिशा में क्या कदम उठाया जा सकता है। कोर्ट में बताया गया कि स्कूल बसों में जीपीएस व्यवस्था का प्रावधान है जिसपर कोर्ट में पूछा कि आखिर इसे मॉनिटर कौन करता है। इसका कोई संतोष जनक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। ऐसे में हाईकोर्ट ने इस व्यवस्था पर हरियाणा, पंजाब और यू.टी. से विस्तृत जवाब देने को कहा।


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