एक दूसरे को पछाड़ने में जुटे हरियाणा के कांग्रेस दिग्गज
हरियाणा कांग्रेस में 'स्टारवार' की हालत है और सभी दिग्गज अपनी अलग-अलग राह चल रहे हैं। ऐसे में दिग्गज नेताओं की आलाकमान के यहां भी दौड़ बढ़ गई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा कांग्र्रेस में बदलाव की सुगबुगाहट के बीच पार्टी के पहली पंक्ति के तमाम दिग्गज नेताओं ने अपनी भागदौड़ तेज कर दी है। उनका एक पैर फील्ड में तो दूसरा दिल्ली दरबार में टिका हुआ है। पार्टी का कोई बड़ा नेता ऐसा नहीं है, जो इस समय जनता के बीच जाकर उनका दुख दर्द नहीं सुन रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा के साथ हर जिले में किसान पंचायतें कर रहे हैैं। जाटलैैंड जींद में किसान महापंचायत करने के बाद हुड्डा व दीपेंद्र की कांग्र्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हुई मुलाकात ने पार्टी की राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी हैैं। हुड्डा समर्थक पंजाब की तर्ज पर हरियाणा कांग्रेस में बदलाव चाहते हैैं।
कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई ने भी पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात कर अपने विरोधियों की नींद उड़ा दी है। कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी भी दिल्ली दरबार की भागदौड़ में पीछे नहीं है। दिल्ली में उनकी अच्छी खासी पकड़ है। भिवानी संसदीय क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में अच्छा खासा शक्ति प्रदर्शन करने के बाद किरण ने राहुल गांधी से मुलाकात की है।
किरण चौधरी के मुलाकात के बाद हुड्डा समर्थक पूर्व मंत्री एवं विधायक गीता भुक्कल ने भी राहुल गांधी से मुलाकात की। हुड्डा खेमा किरण चौधरी को बदलवाने के मूड में है, लेकिन पार्टी में मजबूत पकड़ के कारण किरण को हिला पाना मुश्किल हो रहा है।
कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन रणदीप सिंह सुरजेवाला का पार्टी में बड़ा कद है। उन्होंने पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति और हरियाणा में लोगों के बीच दमदार उपस्थिति के मद्देनजर शानदार संतुलन बनाया हुआ है। हुड्डा की तरह सुरजेवाला हर जिले में किसान, मजदूर और व्यापारी सम्मेलन कर रहे हैैं।
कांग्रेस की राष्ट्रीय नेता एवं राज्यसभा सदस्य कु. सैलजा और पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर के साथ-साथ कैप्टन अजय सिंह यादव ने भी जनसंपर्क अभियान चलाया हुआ है। सैलजा विभिन्न जिलों में सम्मेलन के जरिये लोगों का समर्थन जुटा रही तो अशोक तंवर ने हुड्डा के समानांतर कार्यक्रम घोषित करते हुए उन्हें चुनौती दे रखी है। कांग्रेसियों के अचानक सक्रिय हो जाने से हाईकमान हालांकि खुश है, लेकिन पद बांटने की बारी आने पर सभी को संतुष्ट करना उसके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।