पीएमओ ने नीति आयोग के सीईओ को सौंपी जांच
जागरण संवाददाता, पंचकूला : प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हरियाणा राज्य फार्मेसी कौंसिल के च
जागरण संवाददाता, पंचकूला : प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हरियाणा राज्य फार्मेसी कौंसिल के चेयरमैन केसी गोयल की शिकायत नीति आयोग के सीईओ अलोक कुमार को भेजकर जाच करने के निर्देश दिए हैं। केसी गोयल ने चौकसी ब्यूरो द्वारा नियमों की धज्जिया उड़ाने एवं राजनीतिक संरक्षण में काम करने के आरोप लगाकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। जिसके बाद अब ब्यूरो के खिलाफ नीति आयोग जाच करेगा। गोयल ने बताया कि 44 फर्जी रजिस्ट्रेशन, जो कौंसिल को ऑनलाइन करते हुए पकड़ में आए थे, ये दूसरों के पेपर स्कैन करते हुए जारी करवाए गए थे। जब इन सभी को रद कर केस दर्ज करवाया, तो सरकार ने आरोपियों पर कार्रवाई करने के बजाय उल्टा उन्हें ही झूठा फंसाने की साजिश रचते हुए चौकसी ब्यूरो को जाच के आदेश दे दिए। फार्मेसी एक्ट 1948 की धारा 45 (5) के तहत ही कौंसिल प्रधान के खिलाफ जाच करवाई जा सकती है और किसी भी धारा में जाच करवाना संविधान की अवहेलना व सरकारी अधिकारों का दुरुपयोग है। परंतु सरकार ने जाच शुरू करवा दी, लेकिन कुछ भी ना निकलने पर चार अधिकारी बदल दिए। अब जब जाच में कुछ भी नहीं मिला, तो जानबूझ कर जाच पूरी नहीं कर रहे हैं।
कभी नहीं हुआ था ऑडिट, करोड़ों का गबन निकला
गोयल ने बताया कि धारा 26 के तहत कार्यालय में जरूरत के अनुसार कर्मचारी व रजिस्ट्रार नियुक्त करने का अधिकार केवल कौंसिल को है। कौंसिल का गठन 23 मई 1972 से अब तक सरकार ने पहली बार एक जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2017 तक के लिए कौंसिल कार्यालय में, जो कर्मचारी कार्यरत है, उन सबके नाम से अनुमति जारी की। जबकि इससे पहले कभी भी यह अनुमति जारी नहीं की गई थी। गोयल ने बताया कि उनसे पूर्व जितने भी चेयरमैन एवं रजिस्ट्रार रहे, उन्होंने कौंसिल कार्यालय को अपनी निजी दुकान बनाकर चलाया था। कौंसिल के पैसे का दुरुपयोग करते हुए गबन किया गया। कभी भी ऑडिट नहीं करवाया गया और न ही सरकार ने ऑडिट के लिए लिखा गया। जब कौंसिल का ऑडिट हुआ, तो करोड़ों रुपये की रिकवरी पूर्व रजिस्ट्रारों एवं सदस्यों पर निकल आई।
गबन करने वालों को नहीं पकड़ा
उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने सीडब्ल्यू 10886/97 का फैसला सुनाते हुए 22/02/2007 को हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो को एसएम नेहरा के कार्यकाल में की गई अनियमितताओं के बारे में 6 माह के अंदर जाच पूरी करते हुए एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। ब्यूरो ने नेहरा द्वारा गबन की बात स्वीकार की। जिस पर सेक्टर-5 पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।