रोहतक में 222 आैद्योगिक प्लाटों का आवंटन रद
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार को भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार द्वारा 2009 में रोहतक में आवंटित किए गए 222 अाैद्योगिक प्लाटों का अलाटमेंट रद कर दिया है। हुड्डा सरकार ने उस समय विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से 15 दिन पहले इन प्लाटों का आवंटन किया।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार को भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार द्वारा 2009 में रोहतक में आवंटित किए गए 222 अाैद्योगिक प्लाटों का अलाटमेंट रद कर दिया है। हुड्डा सरकार ने उस समय विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से 15 दिन पहले इन प्लाटों का आवंटन किया।
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आराेप है कि इन प्लाटों के आवंटन में तत्कालीन सरकार ने उद्योगों से जुड़े लोगों की अनदेखी की थी। सरकार ने सरकारी नौकरी करने वाले व चाय की दुकान करने वाले लोगों काे इंडस्ट्रियल प्लाट अलाट कर दिए। आरोप है कि राजनीतिक पहुंच वाले लोगों को ही प्लाट आवंटित किए गए।
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हाईकोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए 222 इंडस्ट्रियल प्लाटों का आवंटन रद कर दिया। हाई कोर्ट की जस्टिस हेंमत गुप्ता पर आधारित खंडपीठ ने कहा, उनको लगता है कि इन प्लाटों के आवंटन में नियमों की पालना नहीं की गई। एक ही परिवार के कई लोगों को प्लाट जारी कर दिए गए। उन लोगों को भी प्लाट दे दिए गए जो उसके योग्य नही थे। कुल मिलाकर इस प्लाट के आवंटन में अलाट कमेटी ने निष्पक्ष ढंग से काम नहीं किया।
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इस मामले में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में दस्तावेज पेश करते हुए बताया था कि 2009 में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से ठीक 15 दिन पूर्व रोहतक में औद्योगिक प्लाटाें के अलॉटमेंट का फैसला किया गया था। अलॉटमेंट ऐसे लोगों को की गई जो इसके लिए तय योग्यता व मानदंड पर खरे ही नहीं उतरते हैं। इस मामले में सभी अलॉटियों को प्रतिवादी बनाया गया था।
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याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में आरटीआइ के माध्यम से प्राप्त जानकारी पेश करते हुए कहा था कि जिन लोगों को प्लाटों का आवंटन किया गया उनमें से कई अभी हरियाणा सरकार की सेवा में हैं। कई उसी एरिया में चाय की दुकान चलाने वाले हैं। ऐसे में स्पष्ट होता है कि आवंटन मेरिट के आधार पर नहीं किया गया। यह आवंटन राजनीतिक लाभ प्राप्त करने की मंशा से किया गया प्रतीत होता है।