100 वर्ष पुरानी परंपरा निभाने पहुंचे किसान
संवाद सहयोगी, पिंजौर : जमाना भले ही बदल रहा हो लेकिन परंपराएं कभी पुरानी नहीं होती। परंपराओं को निभा
संवाद सहयोगी, पिंजौर : जमाना भले ही बदल रहा हो लेकिन परंपराएं कभी पुरानी नहीं होती। परंपराओं को निभाने के लिए पंजाब के दर्जनों गावों के सैकड़ों किसान अपनी 100 वर्ष पुरानी परपरा संजोए हुए है। मंगलवार को भी बैसाखी के कुछ दिन बाद आने वाली अमावस को पिंजौर गार्डन के बाहर अमावस मेले में पंजाब के रोपड़, पटियाला, राजपुरा, सुहाना आदि समेत पंजाब के अलग-अलग गावों के सैंकड़ों किसान पहुंचे। परपरा के मुताबिक किसानों ने गाने गाए और पुरानी सारगी के साथ लोगों का मनोरंजन किया। पूरी रात मनोरंजन कर किसान बुधवार सुबह धारामंडल में स्नान करके अपने घरों को लौट गए। उधम सिंह सुहाना और मान सिंह ने बताया कि उनके बुजुर्ग 1917 से बैसाखी मेले के बाद आने वाली अमावस के एक दिन पहले यहां पर अखाड़ा लगाकर धार्मिक बातों को अपने गीतों में गाकर सुनाते थे, इसके अलावा पंजाबी गानों से भी लोगों का मनोरंजन करते थे। उसके बाद 1933 में आखिरी बार भगत आसाराम ने यहां पर उस तरह का अखाड़ा लगाया था। महाराजा पटियाला ने भगत आसाराम को गाने के लिए बुलाया था जहां महाराज ने खुश होकर भगत से कहा कि जहां पर भी हमारी विरासत है, वहां पर तुम बिना किसी अनुमति और पैसे के अपना अखाड़ा लगाकर गाने गाकर लोगों का मनोरजन कर सकते हो।