भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है मां मनसा
जागरण संवाददाता, पंचकूला : पंचकूला में ऐतिहासिक नगर मनीमाजरा के निकट शिवालिक पर्वत मालाओं की गोद में
जागरण संवाददाता, पंचकूला : पंचकूला में ऐतिहासिक नगर मनीमाजरा के निकट शिवालिक पर्वत मालाओं की गोद में सिंधुवन के अतिंम छोर पर प्राकृतिक छटाओं से आच्छादित एकदम मनोरम एवं शांति वातावरण में स्थित है सतयुगी सिद्घ माता मनसा देवी का मंदिर। कहा जाता है कि यदि कोई भक्त सच्चे मन से 40 दिन तक निरंतर मनसा देवी के भवन में पहुंचकर पूजा अर्चना करता है तो माता उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करती है। माता मनसा देवी का चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रों में मेला लगता है।
ऐतिहासिक महत्व
धर्मग्रंथ तंत्र चूड़ामणि के अनुसार ऐसे सिद्घपीठों की संया 51 है, जबकि देवी भागवत पुराण में 108 सिद्घपीठों का उल्लेख मिलता है, जो सती के अंगों के गिरने से प्रकट हुए। माता पार्वती हिमालय के राजा दक्ष की कन्या थी व अपने पति भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर उनका वास था।
तीन पिंडियों का विशेष महत्व
मूर्ति के आगे तीन पिंडियां है, जिन्हे मां का रूप ही माना जाता है। ये तीनों पींडिंया महालक्ष्मी, मनसा देवी तथा सरस्वती देवी के नाम से जानी जाती है। मंदिर की परिक्रमा पर गणेश, हनुमान, द्वारपाल, वैष्णवी देवी, भैरव की मूर्तियां एवं शिवलिंग स्थापित है। इसके अतिरिक्त श्री मनसा देवी मंदिर के प्रवेश द्वार पर माता मनसा देवी की विधि विधान से अखंड जोत प्रज्जावलित कर दी गई है।
सुविधाओं के लिए हुआ बोर्ड का गठन
मंदिर के ऐतिहासिक महत्व तथा मेलों के ऊपर प्रति वर्ष आने वाले लाखों श्रद्घालुओं को और अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए हरियाणा सरकार ने मनसा देवी परिसर को 9 सितम्बर 1981 को माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड का गठन करके इसे अपने हाथ मे ले लिया था।