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जिंदगी की जंग हारे डीएसपी भगवान दास, सुसाइड नोट का खुलासा

जागरण संवाददाता, पंचकूला : हिसार के शेखपुरा गाव में हुए तिहरे हत्याकाड में आरोपी डीएसपी भगवान दास सो

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 01:09 AM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 01:09 AM (IST)
जिंदगी की जंग हारे डीएसपी भगवान दास, सुसाइड नोट का खुलासा
जिंदगी की जंग हारे डीएसपी भगवान दास, सुसाइड नोट का खुलासा

जागरण संवाददाता, पंचकूला : हिसार के शेखपुरा गाव में हुए तिहरे हत्याकाड में आरोपी डीएसपी भगवान दास सोमवार तड़के जिंदगी की जंग हार गए। वे 12 दिन से पंचकूला अलकेमिस्ट अस्पताल में दाखिल थे, जिन्होंने 15 मार्च को सुबह गोली मारकर खुदकशी करने की कोशिश की थी। उनके साथी डीएसपी ने उन्हें यहां दाखिल करवाया था। गोली सिर के आरपार हो गई थी। उनकी मौत के बाद पुलिस ने उनसे बरामद सुसाइड नोट का खुलासा कर दिया है। जिसमें डीएसपी ने लिखा है कि मेरा और मेरे भाई का मामले से कोई लेना-देना नहीं था।

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डीएसपी की जुबानी : मेरा कोई लेना-देना नहीं

डीएसपी ने लिखा है कि हमारा झूठा नाम डलवाया गया था। रामकुमार के चारों लड़कों, बलवीर और उसके भाई के लड़के, रामेश्वर, जितेंद्र ने मुझे फंसाने की कोशिश की है। वारदात के दौरान वे हिसार के डीएसपी थे। पंचकूला पुलिस ने सुसाइड नोट के हिसाब से केस दर्ज कर लिया है।

शव का पोस्टमार्टम

मौत के बाद शव का सोमवार को सेक्टर-6 के नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाया गया। मंगलवार सुबह 10 बजे उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गाव में किया जाएगा।

आरोप को ठहराया गलत, रिश्तेदारों से बात छुपाने का किया गया प्रयास

भगवान दास के भाई सुरेद्र एवं कुछेक ही रिश्तेदारों को यह बताया गया था कि भगवान दास की मौत हो गई है। रिश्तेदारों से यह बात छुपाने की कोशिश की गई। भगवान दास ने तीन लाइन के सुसाइड नोट में ही अपनी पूरी भड़ास निकाली है। सुरेद्र कुमार ने बताया कि शेखपुरा में हादसे वाले दिन भगवान दास तो मौके पर थे भी नहीं और उन पर जो आरोप लग रहे हैं, वह सरासर गलत हैं। वह तो अपने परिवार में किसी से मिलने भी जाते थे, तो गाड़ी काफी दूर खड़ी करके जाते थे। होली वाले दिन की वारदात से भगवान दास का कोई लेना देना ही नहीं था। इसलिए वह मानसिक तौर पर परेशान हो गए और इतना बड़ा कदम उठाया। सुरेद्र ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माग की है। साथ ही कुछ अन्य नाम भी सुरेद्र ने पुलिस को दिए है, जिनके नाम भी पुलिस एफआइआर में दर्ज कर सकती है।

तीन दिन से उम्मीद छूट गई थी

लगभग तीन दिन से डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी, क्योंकि ब्रेन डेड हो चुका था। भगवान दास केवल वेंटीलेटर से सास ले रहे थे। सूत्रों के अनुसार डॉक्टरों ने परिवारों को भी बताया था कि अब केवल भगवान दास के लिए भगवान ही कुछ कर सकते है। परिजनों ने हौसला नहीं हारा और डॉक्टरों से अंतिम क्षण तक प्रयास करने के लिए कहा। परतु सोमवार सुबह डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए।

13 मार्च को हुई थी फाय¨रग

हासी के गाव शेखपुरा में होली के दिन 13 मार्च को दो गुटों में पुरानी रंजिश के चलते फायरिंग में तीन लोगों की मौत हुई थी और तीन घायल हो गए थे।

डीएसपी समेत 28 पर दर्ज हुई थी एफआइआर

हिसार में दर्ज एफआइआर में वहीं तैनात डीएसपी हेडक्वार्टर भगवानदास सहित 24 लोगों को नामजद करते हुए 28 पर केस दर्ज किया गया था। 14 मार्च को उनका तबादला कर तुरत पंचकूला पुलिस मुख्यालय भेज दिया गया। जिसके बाद भगवान दास ने 15 मार्च को बुधवार सुबह सवा 9 बजे पंचकूला में अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी। 12 दिन बाद 27 मार्च को डॉक्टरों ने उन्हे मृत घोषित कर दिया था।


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