डिफाल्टरों से लगभग 1000 करोड़ की रिकवरी करेगा हुडा
राजेश मलकानियां, पंचकूला : हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) ने डिफाल्टरों से मालामाल होने के लिए
राजेश मलकानियां, पंचकूला : हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) ने डिफाल्टरों से मालामाल होने के लिए नोटिस देने शुरू कर दिए है। जिले में हुडा के डिफाल्टरों की लिस्ट कोई छोटी नहीं है, जिनसे लगभग एक हजार करोड़ रुपये वसूले जाने है। हालांकि यह राशि डिफाल्टरों से निकलवाना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन फिलहाल नोटिस देने की कवायद शुरू कर दी गई है। हुडा गत दिनों में डिफाल्टरों को लगभग 25 करोड़ रुपये के नोटिस दे चुका है।
देना होगा पैसा, नहीं तो प्लॉट किया जाएगा रिज्यूम
हुडा ने डिफाल्टरों की एक लिस्ट तैयार की है, जिसमें लगभग एक हजार करोड़ की एक्सटेशन फीस, एन्हॉंसमेंट एवं इस्टालमेंट के रुपये मिलेंगे, नोटिस देने के बाद जब डिफाल्टर बकाया जमा नहीं करवाएगा, उसका प्लॉट रिज्यूम होने से कोई नहीं रोक सकेगा। हुडा के तीन माह पूर्व आए संपदा अधिकारी मनीष लोहान ने ऐसे डिफाल्टरों पर सख्ती दिखाते हुए विभाग के संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को हिदायतें जारी करते हुए सूचियां तैयार करने के लिए कहा है।
जैसे ही फाइल चेक होगी, कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी
कंप्यूटर के मुताबिक लगभग एक हजार करोड़ रुपये बकाया है, लेकिन कंप्यूटर में कोई गलती न हुई हो, इसको ध्यान में रखते हुए नोटिस देने से पूर्व प्लॉट धारक की फाइल का पूरा निरीक्षण किया जा रहा है, जैसे ही हुडा के अधिकारी पूरी संतुष्ट हो जाएंगे कि प्लॉट धारक के खिलाफ एक्सटेशन फीस, इस्टालमेंट या एन्हॉसमेंट निकलती है, तो उसके बाद उसे नोटिस दिया जा रहा है।
सेक्टर-20 में करोड़ों रुपये बकाया
-सेक्टर-20 में कामíशयल डिफाल्टरों पर 11 करोड़ 8 लाख रुपये
-सेक्टर-20 ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज पर 37 करोड़ 12 लाख रुपये
-सेक्टर-20 के 11 कामर्शियल एरिया में 8 करोड़ 78 लाख रुपये
-सेक्टर-20 के रिहायशी क्षेत्र में 10 करोड़ 17 लाख रुपये
-सेक्टर-25 में 20 करोड़ 20 लाख रुपये
बगई की शिकायत के बाद छिड़ी मुहिम
दरअसल एसवी फोरम फॉर कॉमन कॉज के चेयरमैन विनोद बगई ने अपने एक पड़ोसी के खिलाफ हुडा विभाग को एक शिकायत दी थी, जिसमें उन्होंने पड़ोसी को लगभग 77 करोड़ रुपये का चूना हुडा को लगाने की बात कही थी। बगई ने एक डाटा तैयार करके विभाग को सौंपा था, जोकि उनके पड़ोसी से एक्सटेशन फीस के रूप में वसूली जानी थी। बगई ने हुडा को शिकायत में बताया था कि उनके पड़ोसी ने पिछले लगभग 41 सालों से अपने प्लॉट का ऑक्यूपेशन सर्टीफिकेट ही नहीं ले रखा। जबकि प्लॉट का नक्शा पास करवाने के बाद ऑक्यूपेशन सर्टीफिकेट लेना अनिवार्य है। पड़ोसी ने एक प्लॉट का ऑक्यूपेशन सर्टीफिकेट 3 मई 1985 में ले लिया था, जिसके बाद 7 जून 1985 को साथ लगता खरीद लिया था। मई 1990 को दोनों प्लॉटों का रिवाइज नक्शा पास करवा लिया था।
15 साल पहले निर्माण कर लिया लेकिन ऑक्यूपेशन नहीं लिया
1991 में प्लॉट निर्माण कर लिया था। नए प्लॉट पर 5 प्रतिशत कंस्ट्रक्शन ही की थी। इसके बाद न तो दोनों प्लॉटों का कंबाइड ऑक्यूपेशन लिया और न ही नए खरीदे गए प्लॉट का अलग से ऑक्यूपेशन लिया। प्लॉट का साइज 846 स्क्वेयर मीटर है, जिसके हिसाब से हर वर्ष के जुर्माना राशि को जोड़ा जाए, तो वह लगभग 77.23 करोड़ रुपये ब्याज सहित बनता है।
शर्ते में ही सब कुछ है साफ
दरअसल हुडा प्लॉट अलॉट करते समय ही सब कुछ स्पष्ट कर देता है। जिसमें एन्हॉसमेंट, इंस्टालमेंट एवं एक्सटेशन फीस के बारे में स्पष्ट हिदायतें होती है और यह राशि समय-समय पर बढ़ती रहती है।
हुडा के संपदा अधिकारी मनीष कुमार ने बताया कि हुडा द्वारा डिफाल्टरों की एक लिस्ट तैयार की गई है। जिसमें लगभग एक हजार करोड़ रुपये डिफाल्टरों की तरफ निकलते है। नोटिस देने का काम शुरू कर दिया गया है और अब तक 25 करोड़ के डिफाल्टरों को नोटिस दिए जा चुके है। जो रकम नहीं चुकाएगा, उसका प्लॉट रिज्यूम कर लिया जाएगा।
-मनीष कुमार, संपदा अधिकारी