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हरियाणा में अविरल बहेगी सरस्वती नदी की जलधारा

हरियाणा सरकार के प्रयास रंग लाए तो सरस्वती नदी जल्द ही प्रदेश में अविरल बहती नजर आएगी। राज्य सरकार ने नदी के उद्गम स्थल यमुनानगर जिले के आदिबद्री से सिरसा जिले के ओटू हैड तक जल प्रवाह का मार्ग तैयार करने का फैसला किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 04:37 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 05:01 PM (IST)
हरियाणा में अविरल बहेगी सरस्वती नदी की जलधारा

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार के प्रयास रंग लाए तो सरस्वती नदी जल्द ही प्रदेश में अविरल बहती नजर आएगी। राज्य सरकार ने नदी के उद्गम स्थल यमुनानगर जिले के आदिबद्री से सिरसा जिले के ओटू हैड तक जल प्रवाह का मार्ग तैयार करने का फैसला किया है। सरकार नदी के किनारे बसी सरस्वती सभ्यता एवं संस्कृति से ओतप्रोत नगरों को भी सरस्वती तीर्थ के रूप में विकसित करेगी।

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अहम निर्णय आदिबद्री से ओटू हैड तक जल प्रवाह मार्ग तैयार होगा

मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई हरियाणा सरस्वती धरोहर बोर्ड की बैठक में ये फैसले किए गए। मुख्यमंत्री इस बोर्ड के अध्यक्ष हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि दिसंबर माह के अंत तक आदिबद्री से ओटू हैड तक सरस्वती नदी के जल प्रवाह मार्ग का सीमांकन पूरा कर लिया जाए।

उन्होंने कहा कि सरकार का भरपूर प्रयास है कि सरस्वती नदी की निर्मल जलधारा धरातल पर बहे। इसके लिए हरियाणा के साथ-साथ केंद्र सरकार के स्तर पर भी व्यापक कार्य चल रहा है। हमारा प्रयास है कि यहां विश्र्व स्तर का आध्यात्मिक पर्यटन स्थल भी विकसित किया जाए।

आदि बद्री तीर्थ।

मुख्यमंत्री ने 17 से 21 दिसंबर तक सभी जिलों में मनाए जाने वाले गीता जयंती उत्सव के दौरान सरस्वती धरोहर बोर्ड पर प्रदर्शनी लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का विस्तार करने तथा पिहोवा तीर्थ स्थल के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का भी निर्देश दिया।

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का होगा विस्तार

बैठक में बसंत पंचमी के अवसर पर आगामी 7 से 12 फरवरी तक यमुनानगर, कैथल और कुरुक्षेत्र जिलों में पांच दिवसीय सरस्वती महोत्सव का आयोजन करने की स्वीकृति प्रदान की गई। इसके अलावा, दिल्ली में एक अंतरराष्ट्रीय समारोह का आयोजन करने को भी मंजूरी दी गई है।

पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव सुमिता मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में आदिबद्री, कपालमोचन, मुस्तफाबाद तथा पिहोवा में चार स्थानों पर 10 करोड़ रुपये की लागत से सरस्वती तीर्थ स्थल विकसित करने के कार्य चल रहे हैं। इसके तहत घाट जीर्णोद्धार किए जा रहे हैं।

बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन प्रशांत भारद्वाज ने नदी के प्रवाह मार्ग पर इसरो व अन्य स्त्रोतों से प्राप्त की गई जानकारियों पर प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि आदिबद्री के पास सोम्ब नदी पर बांध बनाकर एक बड़ी झील बनाई जाएगी जिससे सरस्वती यानि (सरस का समागम) चरितार्थ हो जाएगा। इसके बनने से भूजल स्तर बढ़ेगा तथा सिंचाई के लिए भी नदी का जल उपयोग में लाया जाएगा।

उन्होंने बतायश कि इसी प्रकार दूसरी झील पिहोवा के निकट स्योंसर के वन क्षेत्र में बनाई जाएगी ताकि वन्य प्राणियों को पानी उपलब्ध कराया जा सके। बोर्ड की प्राथमिकताओं में हरियाणा में खुदाई से प्राप्त पुरास्थलों का विकास व हर एक पुरास्थल पर एक अन्वेषण व संग्रहालय केन्द्र की स्थापना की जाएगी, जहां पर खुदाई में प्राप्त अवशेषों को रखा जा सके ।

बैठक में पर्यटन मंत्री राम बिलास शर्मा, मुख्य सचिव डीएस ढेसी, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल, सिंचाई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राम निवास, पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन, यमुनानगर, कुरूक्षेत्र, कैथल व सिरसा के उपायुक्तों के अलावा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड व सरस्वती धरोहर बोर्ड के सदस्य भी उपस्थित थे।

तीन करोड़ का बजट, तीन जिलों में हाेगी खुदाई

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सरस्वती नदी के उद्गम स्थल से लेकर कुरुक्षेत्र तक प्रथम चरण में तीन जिलों की खुदाई का कार्य शीघ्र पूरा करने को कहा। इसके लिए चालू वित्त वर्ष के लिए बोर्ड को तीन करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध कराया गया। यह राशि बोर्ड के कार्यालय की स्थापना, पेलियो चैनल का निर्माण, अवधारणा डिजाइन एवं विस्तृत परियोजना रिपोर्ट, नलकूपों की खुदाई, कार्बन डेटिंग पर खर्च होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक संचालन समिति गठित की जाएगी, जिसमें सभी संबंधित विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं प्रधान सचिव शामिल रहेंगे। इन विभागों में लोक निर्माण, टूरिज्म, कृषि, सिंचाई, सांस्कृतिक कार्य, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एवं राजस्व इत्यादि विभाग शामिल रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने बताया कि सरस्वती हैरिटेज की जानकारी जन-जन तक पहुंचाने के लिए कुरुक्षेत्र, कैथल और यमुनानगर की जिला लाइब्रेरी में सरस्वती नदी पर हुए शोध, किताबें एवं अन्य सामग्री रखे जाने का प्रावधान किया जाएगा। जिलों में डिजिटल लाइब्रेरिज भी स्थापित की जाएंगी।


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