पंचायत चुनावों में शैक्षणिक योग्यता पर बिल लाएगी सरकार
हरियाणा सरकार ने कहा है कि विधानसभा के आगामी सत्र में वह पंचायत चुनाव के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने का विधेयक लेकर आएगी। पंचायत में पढ़े-लिखे उम्मीदवार आने से गांव के विकास में सहायता मिलेगी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने कहा है कि विधानसभा के आगामी सत्र में वह पंचायत चुनाव के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने का विधेयक लेकर आएगी। पंचायत में पढ़े-लिखे उम्मीदवार आने से गांव के विकास में सहायता मिलेगी।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस एसके मित्तल पर आधारित खंडपीठ ने सरकार के इस जवाब पर सुनवाई 14 सितंबर तक स्थगित कर दी। खंडपीठ सरकार के इस आदेश पर पहले ही अंतरिम रोक लगा चुकी है।
खंडपीठ ने सरकार से पूछा था कि यदि वह संवैधानिक व्यवस्था में सुधार के लिए ऐसा कर रही है तो इसकी शुरूआत लोकसभा या विधानसभा चुनावों से क्यों नहीं की जाती है, क्यों नहीं मंत्रियों और सांसद के लिए न्यूनतम योग्यता के मानक तय किए जाते हैं।
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हिसार की वेदवंती देवी ने याचिका दायर कहा था कि हरियाणा सरकार ने पंचायती राज एक्ट 1994 में संशोधन के फैसले के साथ ही उनसे चुनाव लड़ने का अधिकार छीन लिया है। सरकार के इस निर्णय के तहत ग्राम पंचायत, ग्राम समिति और जिला परिषद में चुनाव लडऩे के लिए न्यूनतम योग्यता 10वीं निर्धारित की गई है। अनुसूचित वर्ग की महिला उम्मीदवार के लिए न्यूनतम योग्यता आठवीं रखा गया है।
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याचिकाकर्ता ने कहा कि वह सातवीं पास है और सरकार के निर्णय के अनुसार वह आगामी चुनाव नहीं लड़ सकेगी। चुनाव का लड़ना उसका संविधानिक अधिकार है। याचिका की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि पंचायती राज एक्ट के तहत पंचायत चुनाव एक संवैधानिक प्रक्रिया है और इसके लिए इस प्रकार योग्यता निर्धारित करने से चुनाव लड़कर जनप्रतिनिधि बनने के अधिकार का हनन होता है। समान अवसर का हनन सीधे तौर पर संविधानिक अधिकारों का हनन होता है।
कई याचिकाएं दायर
पंचायत चुनाव में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने के खिलाफ शुक्रवार को भी कई याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर हुईं। हाईकोर्ट ने सभी याचिका को वापस लेने की छूट देते हुए खारिज कर पहले चल रही याचिका में पार्टी बनने का सलाह दी।
अक्टूबर में खिसके चुनाव
हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई 14 सितंबर तक स्थगित करने के फैसले से पंचायत चुनाव अब अक्टूबर में होने के आसार बन गए हैं। कारण यह कि 14 सितंबर को कोर्ट का फैसला अनुकूल होने के बावजूद चुनाव सितंबर माह में कराना सरकार के लिए संभव नहीं होगा।
भाजपा सरकार राजनीति में शुचिता लाने के उद्देश्य से पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू करने संबंधी फैसला भले ही लागू करना चाह रही है, लेकिन कांग्रेस, इनेलो और हजकां ने इसका यह कहते हुए विरोध किया है कि फैसला लागू करने का यह उचित समय नहीं है।
कांग्रेस ने इस फैसले को अगली बार से लागू करने का सुझाव दिया था, जबकि इनेलो का कहना है कि 80 प्रतिशत आबादी राज्य सरकार के इस फैसले से प्रभावित होती है, जो चुनाव लड़ने की इच्छुक है। हजकां ने इस फैसले को लागू करने से पहले विधानसभा व लोकसभा के उम्मीदवारों पर लागू करने का सुझाव दिया है।
भाजपा सरकार की ओर से हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे के आधार पर माना जा सकता है कि भले ही विरोधी दल कितना भी विरोध करें, लेकिन सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में मामला न केवल लंबा खिंचने के आसार बन गए, बल्कि पंचायत चुनाव भी तय समय सीमा में होते नजर नहीं आ रहे हैैं।
पंचायतों का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो चुका है और गांवों की सरकार प्रशासक के हाथों में चली जाने के कारण विकास कार्य भी नहीं हो पा रहे हैैं।
राज्य चुनाव आयोग भी अब बेबस है। उसकी चुनाव की तैयारियां पूरी हो चुकी हैैं। अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से झंडी मिलने के बाद ही आयोग चुनाव पर कोई फैसला ले पाएगा।