रोहतक औद्योगिक प्लॉट मामले में जांच को मांगा समय
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के शासन काल में इंडस्ट्रियल प्लॉट की अलॉटमेंट
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के शासन काल में इंडस्ट्रियल प्लॉट की अलॉटमेंट में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने जांच पूरी करने के लिए और समय मांगा है। हाईकोर्ट ने 4 सितंबर तक का समय देते हुए मामले की जांच स्थगित कर दी।
मालूम हो कि हाईकोर्ट ने 27 मार्च को रोहतक में 222 इंडस्ट्रियल प्लॉट की अलॉटमेंट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए इनकी अलॉटमेंट की जांच के लिए हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन, प्रधान सचिव महावीर सिंह व इंडस्ट्रियल विभाग के अतिरिक्त निदेशक अश्वनी कुमार की कमेटी बनाई थी।
याचिका में क्या थे आरोप
याचिका में आरोप थे कि सरकार ने उद्योग से जुड़े लोगों को अनदेखा कर सरकारी नौकरी करने वाले व चाय की दुकान वालों को इंडस्ट्रियल प्लॉट अलाट कर दिए थे क्योंकि इनकी राजनीतिक पहुंच थी।
हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए आवंटन की जाच के लिए हरियाणा के तीन वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों की कमेटी बनाने का निर्देश दिया था। बैंच ने इस अलाटमेंट की पुन: जाच कर धाधली की रिपोर्ट चार महीने के भीतर हाईकोर्ट को देने का निर्देश दिया था। बाद में हाईकोर्ट ने इस कमेटी को भिवानी के प्लॉट आवंटन की जांच करने का भी निर्देश दिया था।
जस्टिस हेमंत गुप्ता पर आधारित खंडपीठ ने आदेश में साफ तौर पर कहा था कि अलॉटी न तो अपने प्लॉट को बेच सकते हैं और न ही किसी तरह का निर्माण करें, अगर किसी ने उस पर निर्माण कर लिया है तो वह इस याचिका पर दिए गए फैसले पर निर्भर करेगा।
पीठ ने कहा कि लगता है कि इन प्लॉट के आवंटन में नियमों का पालन नहीं किया गया। एक ही परिवार के कई लोगों को प्लॉट जारी कर दिए गए। उन लोगों को भी प्लॉट दे दिए गए जो उसके योग्य नहीं थे। कुल मिलाकर अलाट कमेटी ने निष्पक्ष ढंग से काम नहीं किया।
हाइकोर्ट ने कमेटी को आदेश दिया है कि वह पूर्ण जाच कर बताए कि किस प्लॉट की सही अलाटमेंट किया गया और किसमें गड़बड़ है? साथ ही प्लॉट देने के लिए क्या आधार व तरीका अपनाया गया।