आकार लेने लगा सबसे बड़े हर्बल पार्क का सपना
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : दुनिया का सबसे बड़ा हर्बल फारेस्ट पार्क विकसित करने की दिशा में काम शुरू ह
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : दुनिया का सबसे बड़ा हर्बल फारेस्ट पार्क विकसित करने की दिशा में काम शुरू हो गया है। यह पार्क मोरनी में वन विभाग की जमीन पर तैयार होगा। जमीन रिलीज करने के लिए विभाग ने औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। यहां लगने वाले औषधीय पौधों की प्रजातियों को लेकर ब्लू प्रिंट पर चर्चा हो चुकी है। पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के आचार्य बालकृष्ण और हरियाणा सरकार की उच्च स्तरीय कमेटी के बीच हुई मंत्रणा के बाद पहले मोरनी की जलवायु में विकसित हो सकने वाले पौधों की सूची तैयार करने पर सहमति बनी है। देश-विदेश में सैकड़ों ऐसे औषधीय पौधे होते हैं, जो बाहरी जलवायु में पनप नहीं सकते। लिहाजा यह आकलन जरूरी हो गया कि मोरनी की जलवायु किन पौधों के अनुकूल है और कौन से पौधे यहां पनप नहीं सकेंगे।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. एसएस जाटान के नेतृत्व में बनी उच्च स्तरीय कमेटी मोरनी की जलवायु का आकलन करने में जुटी हुई है। अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) केएस चौहान और अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक पीपी भोजवैद्य कमेटी के सदस्य हैं। राज्य आयुष विभाग के महानिदेशक गुलशन आहुजा को भी सदस्य बनाया गया है। सेटेलाइट के जरिए फोटोग्राफ लेने और नक्शा तैयार करने की औपचारिकताएं भी पूरी की जा रही हैं। आचार्य बालकृष्ण का मानना है कि दुनिया के सबसे बड़े हर्बल फारेस्ट के लिए मोरनी से अच्छी जगह नहीं हो सकती। वन विभाग के अधिकारी बता रहे कि मोरनी में करीब 450 वनस्पति मौजूद हैं, लेकिन अभी सिर्फ 250 की ही पहचान हो पाई है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की इच्छा है कि मोरनी के हर्बल पार्क में करीब 25 हजार किस्मों के औषधीय पौधे लगाए जाएं। डा. एसएस जाटान के नेतृत्व वाली यह कमेटी इन संभावनाओं का भी पता लगाएगी कि क्या वास्तव में इतनी किस्में यहां पनप सकेंगी।
आचार्य बालकृष्ण से ली जा चुकी गाइडलाइन
प्रदेश सरकार ने टीम बना दी है। आचार्य बालकृष्ण जी से भी इनपुट्स ले लिए गए हैं। प्रोजेक्ट लगभग तैयार है। जमीन चूंकि वन विभाग की है, इसलिए हर्बल पार्क में जमीन की दिक्कत नहीं आएगी। मोरनी रेंज का पूरा सर्वे कराया जा रहा है, ताकि पता चल सके कि यहां कौन ही प्रजातियां नहीं पनप सकेंगी। कई प्रजातियां ऐसी होती हैं, जो सिर्फ विदेशों की जलवायु के ही अनुकूल होती हैं। ऐसे में फिलहाल यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि 25 हजार किस्में एक साथ लग जाएंगी, लेकिन इतना तय है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा हर्बल पार्क होगा। इसमें राज्य सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है।
- डा. एसएस जाटान, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, हरियाणा
मोरनी में कम से कम चार हजार प्रजातियां
पौधों के संरक्षण, संवर्धन और शोध कार्यो के लिए मोरनी बेहद कारगर स्थल साबित होगा। अधिकारी भले ही यहां कम प्रजातियां होने की बात कह रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि कम से कम चार हजार औषधीय पौधों की प्रजातियां तो मौजूद हैं ही। बाकी हजारों बूटियों तथा औषधीय पौधों को लगा कर हर्बल पार्क को नए रूप में पेश किया जाएगा।
- आचार्य बालकृष्ण, पतंजलि योगपीठ हरिद्वार
औषधीय बीजों की खरीदार बनेगी पतंजलि योगपीठ
प्रदेश सरकार हर्बल फारेस्ट के आसपास के किसानों को आर्गेनिक खेती व मधुमक्खी पालन सहित अन्य लाभकारी खेती के लिए प्रोत्साहित करने पर विचार कर रही है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के प्रशिक्षण पर भी विचार हो रहा है। करीब 52 हजार एकड़ मोरनी क्षेत्र को हर्बल फारेस्ट के साथ-साथ एडवेंचर्स खेलों के तौर पर भी विकसित करने की योजना है। यहां करीब 25 हजार औषधीय पौधे लगाए जाएंगे। विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोगी पौधों के थीम पार्क विकसित होंगे। आचार्य बालकृष्ण ने जब मोरनी का दौरा किया था, तब कुछ लोगों ने इस इलाके में हरड़ और सौंठ की खेती होने की बात कहते हुए बाजार नहीं होने की समस्या बताई थी। तब आचार्य ने ऐसी फसलों को हमेशा खरीदने का भरोसा दिलाया था।
- अनिल विज, स्वास्थ्य एवं खेल मंत्री, हरियाणा