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खेल संघों की तकरार के बावजूद बढ़ती गई हॉकी ग‌र्ल्स

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : दुनिया में भारतीय महिला हॉकी को पहचान दिलाने में हरियाणा की लड़कियों का अह

By Edited By: Published: Mon, 06 Jul 2015 01:54 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2015 01:54 AM (IST)
खेल संघों की तकरार के 
बावजूद बढ़ती गई हॉकी ग‌र्ल्स

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : दुनिया में भारतीय महिला हॉकी को पहचान दिलाने में हरियाणा की लड़कियों का अहम योगदान रहा है। खेल संघों की राजनीति के बावजूद यहां की लड़कियों ने दो दशक में शानदार हॉकी खेली। बेल्जियम के एंटवर्प में हॉकी व‌र्ल्ड लीग के दौरान जापान को 1-0 से रौंदकर भारतीय महिला हॉकी टीम ने एक बार फिर अपनी श्रेष्ठता साबित की है। टीम में सात खिलाड़ी हरियाणा की हैं। कप्तानी कर रही रीतू रानी हॉकी की नर्सरी कहे जाने वाले शाहाबाद से हैं। हिसार की सविता पूनिया के सहयोग से जापान के विरुद्ध एकमात्र गोल दागने वाली रानी रामपाल भी शाहाबाद की हैं। मूल रूप से सिरसा जिले की रहने वाली सविता पुनिया की शानदार गोलकीपर के रूप में पहचान है। सोनीपत की मोनिका सेंट्रल हाफ खेल रही हैं, जबकि शाहबाद की नवजोत कौर, यमुनानगर की दीपिका ठाकुर और हिसार की पूनम मलिक ने टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई है। पिछली हुड्डा सरकार ने ओलंपिक खेलों में क्वालीफाई करने वाले खिलाड़ियों के लिए 11-11 लाख रुपये के पुरस्कारों का प्रावधान किया था, लेकिन मनोहर सरकार ने अभी इस तरह की कोई पहल नहीं की है।

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दक्षिण कोरिया के इंचियोन में 2014 में हुए एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम में भी हरियाणा की आठ लड़कियां शामिल थीं। इनमें मोनिका, रीतू रानी, नवजोत कौर, जयदीप और रानी रामपाल, दीपिका ठाकुर, पूनम मलिक और सविता पुनिया शामिल हैं। तब पिछली सरकार ने प्रत्येक खिलाड़ी को 50-50 लाख रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक यह राशि नहीं मिल पाई है। मनोहर सरकार के खेल मंत्री अनिल विज ने अब जाकर बजट में इस राशि का प्रावधान कराया है।

दरअसल, 1996 के बाद से महिला हॉकी में मेडल की संभावनाएं बननी शुरू हुई। राज्य का पहला सिल्वर मेडल 1996 में मद्रास में हुए सीनियर नेशनल गेम्स में आया। 1997 में जालंधर में हुए जूनियर नेशनल गेम्स में हरियाणा में गोल्ड मेडल जीता। उसके बाद फिर हरियाणा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

2013 में हुए जूनियर व‌र्ल्ड कप की अगर बात करें तो 32 साल बाद भारतीय टीम को कांस्य पदक मिला था। राष्ट्रीय जूनियर टीम में भी शाहाबाद की रानी रामपाल, मनप्रीत, नवजोत और नवनीत तथा हिसार की पूनम ने प्रतिनिधित्व किया था। 2000 में लंदन में हुए कामनवैल्थ खेलों में इंग्लैंड पर भारतीय टीम की जीत स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। रोहतक की ममता खरब को इसी मैच में गोल्डन गर्ल का खिताब मिला था। रोहतक की कमला दलाल और उनकी बहन सुनीता दलाल ने भारतीय टीम में हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया, जबकि गुड़गांव की प्रीतम सिवाच और शाहाबाद की सुरेंद्र कौर व सुमनबाला की उपस्थिति ने भारतीय टीम में नई जान फूंकी।

खेल संघ राजनीति बंद कर दें तो अधिक अच्छे नतीजे

हरियाणा में 1989 से पहले महिला हॉकी का कोई वजूद नहीं था। किसी खेल को प्रोत्साहित करने में खेल संघों का अहम योगदान रहता है। कृष्ण संपत सिंह ने हॉकी के लिए बड़ा काम किया। कोच बलदेव सिंह के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। खेल संघों की तकरार के बीच यदि हरियाणा की लड़कियां शानदार प्रदर्शन करती हैं तो यह बड़ी बात है। खेल संघ यदि राजनीति बंद कर वास्तव में खेलों की तरफ ध्यान दें तो आगे काफी संभावनाएं बन सकती हैं।

- आजाद सिंह मलिक, प्रशिक्षक, हरियाणा महिला हॉकी टीम


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