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डायबिटिक फुट की सर्जरी के बाद सरदार अंजुम को छुट्टी

जागरण संवाददाता, मोहाली 'दर्द तो दर्द है, उठता है बड़ी मुश्किल से। इसकी हर लहर का रिश्ता है मगर

By Edited By: Published: Tue, 24 Mar 2015 09:40 PM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2015 09:40 PM (IST)
डायबिटिक फुट की सर्जरी के बाद सरदार अंजुम को छुट्टी

जागरण संवाददाता, मोहाली

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'दर्द तो दर्द है, उठता है बड़ी मुश्किल से। इसकी हर लहर का रिश्ता है मगर साहिल से।' जाने-माने उर्दू कवि डॉ. सरदार अंजुम ने ये पक्तिया अस्पताल से छुट्टी मिलने के दौरान कहीं। वह डायबिटिक फुट की शिकायत के साथ मोहाली के फोर्टिस हॉस्पिटल में 16 मार्च को भर्ती हुए थे। 71 वर्षीय डॉ. अंजुम कई सालों से डायबिटिक है और सेप्टिसीमिया से भी पीड़ित थे। उनके बाएं पैर में गैंगरीन था और ब्लड सप्लाई बेहतर करने के लिए उनकी एंजियोप्लास्टी की गई थी। फिर भी इंफेक्शन बढ़ता गया और घुटने के नीचे से उनका पैर 17 मार्च को काटना पड़ा। उन्हे किडनी की बीमारी की भी शिकायत रहती है जो अब पहले से बेहतर हो रही है।

मंगलवार को अंजुम को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और अपने डॉक्टर रावुल जिंदल के साथ उन्होंने मीडिया कर्मियों से मुलाकात की। अंजुम ने कहा, 'अपनी छोटी से छोटी बीमारी को भी कभी हल्के में न लें। आज के वक्त में डायबिटीज हर घर में किसी न किसी सदस्य को है, इसलिए जरूरी है कि हम अपने रहन-सहन और खान-पीन पर ध्यान दें। मैं फोर्टिस की पूरी टीम का धन्यवाद करता हूं। मैं मानता हूं कि इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए मैं एक उदाहरण बन सकता हूं और वे लोग समय रहते अपना इलाज करवा सकते है।'

साहित्य जगत में सरदार अंजुम एक जाना-माना नाम है। 2005 में अंजुम को पद्म भूषण और 1991 में पद्म श्री से नवाजा जा चुका है। वर्ष 2000 में यूएस की पूर्व प्रथम महिला हिलेरी क्लिंटन ने अंजुम को इंटरनेशनल पीस फाउंडेशन ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से द मिलेनियम पीस अवॉर्ड से भी नवाजा था।

अपने पुराने काव्य में से भी उन्होंने कुछ सुनाया

'जो हुआ, हो गया छोड़िए,

जिंदगी से गिला छोड़िए।

दर्द-ए-दिल, दौलत-ए-इश्क है,

दर्द-ए-दिल की दवा छोड़िए।'

गैंगरीन की निशानी केवल काले पैर होना नहीं : डॉ. जिंदल

पैर काटने तक की नौबत के बारे में सावधान करते हुए डॉ. रावुल जिंदल ने कहा कि डायबिटीज में काले पैर हो जाना सिर्फ गैंगरीन की ही निशानी नहीं होते बल्कि यह हृदय रोग की निशानी भी हो सकती है। काले हुए पैर को नजरअंदाज करने से पैर या टांग तो काटनी पड़ ही सकती है साथ ही हृदय रोग की शुरुआत भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि 90 फीसद केसों में पैर काटने से बचा जा सकता है यदि इसके बारे में मरीज को ज्ञान हो और वक्त पर इलाज करवाया जाए।


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