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कवियों ने अपनी रचनाओं से किया मंत्र मुग्ध

By Edited By: Published: Sun, 07 Sep 2014 07:13 PM (IST)Updated: Sun, 07 Sep 2014 07:13 PM (IST)
कवियों ने अपनी रचनाओं से किया मंत्र मुग्ध

जागरण संवाददाता, पंचकूला

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हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी की ओर से अकादमी भवन में कवि दरबार 'मैं और मेरी कविताएं' का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि एवं लेखक एसडी शर्मा ने की। चंडीगढ़ दूरदर्शन के निदेशक केके रत्तु एवं पंजाबी गायिका डोली गुलेरिया विशेष मेहमान के तौर पर उपस्थित थे। कार्यक्रम में लगभग 14 कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से पंजाबी मां बोली का गुणगान किया। इस दौरान कवयित्री एवं लेखिक दीप्ति बबूता द्वारा लिखित 'कुझ तेरिया कुझ मेरिया' नामक पुस्तक का विमोचन किया गया।

कवि दरबार में हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक सुखचैन सिंह भंडारी ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा पंचकूला में संचालित हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी की शुरुआत आज से 20 वर्ष पूर्व हुई थी। इस अकादमी का मुख्य उद्देश्य हरियाणा में पंजाबी भाषा और पंजाबी साहित्य का विकास करना है।

केके रत्तू ने कहा कि कवि दरबार से जहा कवियों में आपसी तालमेल बनाए रखने में मजबूती मिलती है वहीं कवियों को अच्छे शब्द भी मिलते हैं जो अपनी कविताओं में पिरो कर समाज को बेहतर पंजाबी साहित्य देकर अपने दायित्व का निर्वहन करते है। डोली गुलेरिया ने एह मेरा आहलणा, एह मेरा आहलणा कविता प्रस्तुत की। डोली गुलेरिया व उनकी बेटी सुनैना ने संयुक्त रूप से जुत्ती कसूरी, पैर न पूरी, हाय रब्बा वे मैनू तुरना पया नामक पंजाबी गीत भी गाया। इसी प्रकार कवयित्री गुरतेज पारसा ने क्यों एहदा नाम किसे नशेआब रख्यिा, नशिया दी नोक ते पंजाब रखिया कविता प्रस्तुत की। पंचकूला के कवि एवं लेखक गुरबक्श सिंह सैणी ने सौण दा महीना कुछ इस तरह बिताया दोस्तो, रुसया दिलबर कुछ इस तरह मनाया दोस्तो, कवयित्री अमरजीत कौर हिरदे ने तेथों होई झरोकडी भुल वे, साडा खेडे ते न लगता दिल वे, मरणीक कौर ने गल लग तेरे रो लवा, गम अपणे सारे धो लवा, कवि एवं लेखक केदार नाथ केदार ने बदलना आया ना मौसम दी तरह सानू, जिहदे होए असीं हो के रह गए हा, फरीदाबाद की अरकमल कौर ने मैं अपने खून विच कानी डुबो के, मोहाली की कवयित्री डॉ. गुरमिंदर संधू ने बदला छैल-छबीलिया, मनजीत इन्द्रा ने गैरा दिया मोढिया दा आसरा न जोड़िये, अपने भरोसिया विच काजी काहनू घोलिये, वरिष्ठ लेखक एवं कवि श्रीराम अर्श ने नवें वणजारिया और कवि शाम सिंह शाम ने सोचा विच गुम हा, ख्याला विच गुम हा कविताएं पेश करके कवि दरबार में ऐसा समा बाधा कि श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस मौके पर हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा कवियों को सम्मानित भी किया गया।


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