फैशन बना बीमा क्लेम रद करना : उपभोक्ता फोरम
संजीव मंगला, पलवल : जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने एक मामले में अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि बी
संजीव मंगला, पलवल : जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने एक मामले में अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि बीमा कंपनियों द्वारा विशुद्ध तकनीकी एवं प्रक्रिया आधार पर बीमा क्लेम रद किए जा रहे हैं। ऐसा करना एक मेकेनिकल फैशन बन गया है, जिसके परिणाम स्वरूप पालिसी धारक बीमा उद्योग के प्रति अपना विश्वास खो रहे हैं। इससे मुकदमेबाजी भी बढ़ रही है, जो ठीक नहीं है। फोरम ने बीमा कंपिनयों को सलाह दी है कि वे क्लेमों का निपटारा करने के लिए मजबूत मेकेनिज्म विकसित करें तथा विशेष सावधानी बरतें।
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यह था मामला
गांव जल्हाका निवासी सुरेंद्र ¨सह ने अपनी हीरो होंडा कार का बीमा 11 नवंबर 2008 को एक साल की अवधि के लिए मैसर्स आइसीआइसीआइ लांबर्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी से कराया था। बीमा अवधि के दौरान सात नवंबर 2009 को कार चोरी हो गई। 14 नवंबर 2009 को शहर पलवल पुलिस ने इस मामले की प्राथमिकी भी दर्ज कर ली। सुरेंद्र ने बीमा राशि पाने के लिए सभी आवश्यक कागजात भी कंपनी को भिजवाए, परंतु उनका क्लेम मंजूर नहीं किया गया। तब जाकर उन्होंने उपभोक्ता अदालत में परिवाद दायर कर दिया।
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क्या कहना था बीमा कंपनी का
फोरम के समक्ष बीमा कंपनी ने सुरेंद्र के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि प्राथमिकी देरी से दर्ज कराई गई। चोरी सात नवंबर को हुई, जबकि कंपनी को सूचना एक दिन पहले दे दी गई। जबकि पंजीकरण अथारिटी व इनवेंस्टीगेटर को सूचना सात नवंबर को दे दी गई। तथ्यों को छुपाया गया तथा गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए। बीमा की शर्तों का उल्लंघन किया गया।
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फोरम का निर्णय
फोरम के अध्यक्ष जगबीर ¨सह, सदस्या खुश¨वद्र कौर व सदस्य आरएस धारीवाल ने अपने निर्णय में कहा कि इस मामले में क्लेम रद करना तकनीकी आधार पर था, जो कि बीमा कंपनी की सेवाओं में कमी को दर्शाता है। फोरम में सुरेंद्र ¨सह द्वारा दायर परिवाद को स्वीकार करते हुए मैसर्स आइसीआइसीआइ लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी को आदेश दिए हैं कि वह सुरेंद्र को 5,38,454 रुपये का नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करे। इसके अलावा 2200 रुपये का मुआवजा व 2200 रुपये का कानूनी खर्चा 45 दिनों के भीतर प्रदान करे। यदि 45 दिनों के अंदर ऐसा नहीं होता है तो कंपनी को 10 हजार रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देना होगा।