जिसको पाने के लिए भटकी दर-दर, उसी को उतारा मौत के घाट
सुनील कुमार, नारनौल : जिस दीपक को पूजा व उसके पति अश्वनी ने भगवान की चौखट व चिकित्सकों की दवा व मन्न
सुनील कुमार, नारनौल : जिस दीपक को पूजा व उसके पति अश्वनी ने भगवान की चौखट व चिकित्सकों की दवा व मन्नत से रोशन किया था, उसी दीपक को अपने हाथों से बुझाकर (हत्या कर) पूजा ने करके अपनी ¨जदगी व घर में घोर अंधेरा कर लिया।
राजस्थान के गांव बटेरी निवासी पूजा की शादी रामबास गांव के अश्वनी पुत्र बाबूलाल उर्फ लालचंद के पुत्र से 2 दिसंबर वर्ष 2010 को हुई थी। शादी के काफी समय तक पूजा को संतान नहीं हुई। इसके बाद न जाने कितने मंदिरों व चिकित्सकों की दवा व मन्नत से 21 अगस्त वर्ष 2016 में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। घर पर कुछ दिन सब ठीक-ठाक चलता रहा लेकिन कुछ दिन बाद ही पूजा व उसकी सास शकुंतला में अकसर अनबन रहने लगी। इसी के चलते ससुर बाबूलाल व सास शकुंतला ने गांव में अपने पुराने घर में रहना शुरू कर दिया।
अश्वनी के बेरोजगार होने की वजह से उसके छोटे भाई ने उसे सालभर पहले पूना की शीशे की कंपनी में काम करने के लिए बुला लिया था। इसके बाद घर में सबकुछ ठीक-ठाक चलने लगा। बताया जाता है कि कुछ दिन पहले ही अश्वनी घर आया था और रविवार सुबह पूना लौट गया। पड़ोसियों की मानें रविवार को घर पर कोई झगड़ा नहीं हुआ था। रविवार को गांव में किसी के यहां भोज कार्यक्रम था, उसी को लेकर पूजा का ससुर घर पर आया था। वह घर आया तो कमरा अंदर से बंद था व अंदर से कुछ अजीब सी आवाज आ रही थी।
बाबूलाल ने दरवाजे को धक्का मारा, लेकिन नहीं खुला। उसने शोर मचाया तो पड़ोस में रहने वाले रामकुमार आया। उसने रोशनदान को तोड़कर कमरे की कुंडी खोली तो सभी के पैरों तले की जमीन खिसक गई। उन्होंने देखा कि दीपक के मुंह व नाक से खून बह रहा था व पूजा के गले में चुन्नी का फंदा था व बेहोश थी। बच्चा दम तोड़ चुका था। इस पर परिजन पूजा को बचाने के लिए नागरिक अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार प्रदान कर उसको रोहतक पीजीआइएमएस के लिए रेफर कर दिया। परिजन पूजा को लेकर निजी अस्पताल में पहुंचे जहां पर चिकित्सकों ने उसको वेंटीलेटर मशीन पर रखा हुआ है और उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है।