याद आती हैं बच्चों की किलकारियां
संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी : शहबाजपुर का जो मकान एक सप्ताह पहले तक मासूमों की किलकारियों से चहकता
संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी : शहबाजपुर का जो मकान एक सप्ताह पहले तक मासूमों की किलकारियों से चहकता था वहां अब सन्नाटा पसरा है। मातमपुर्सीं के लिए आने वाले लोगों का क्रंदन इस सन्नाटे को तोड़ता है, लेकिन फिर सन्नाटा पसर जाता है। मंजू व तीन बच्चों की मौत और चौहरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी राधेश्याम के मां-बाप के साथ जेल चले जाने के बाद मकान में कोई नहीं बचा है। अंतिम संस्कार के बाद की सामाजिक रस्में पूरी करने के लिए राधेश्याम का छोटा भाई रामकिशन पत्नी कविता व बच्चों के साथ मकान में आकर रहने लगा है, लेकिन रामकिशन का परिवार भी घटना को याद कर करके मानो पत्थर हो चुका है।
राधेश्याम की पत्नी मंजू व रामकिशन की पत्नी कविता दोनों सगी बहनें हैं। मंजू की उसके पति राधेश्याम ने धारदार हथियार से हत्या कर दी, जबकि तीन बच्चों को मकान में ही बने हौद में दफन कर दिया था। आरोपी राधेश्याम के अत्याचारों व पिता रतिराम द्वारा घर में आए दिन झगड़े को बढ़ावा देने से परेशान होकर रामकिशन कुछ दिन पहले ही बीवी बच्चों सहित नांगल चौधरी जाकर रहने लग गया था। घटना के बाद मातमपुर्सीं के लिए आने वाले लोगों से बात करने के लिए भी परिवार का कोई सदस्य नहीं बचने के कारण रामकिशन ही सभी रस्में निभा रहा है। वह भी घटना को याद कर सिहर उठता है। पत्नी कविता की तो बहन व उसके बच्चों की याद में रो-रोकर आंखें सूख चुकी हैं। आस पड़ोस के अधिकतर लोगों ने पुलिस के भय से दूरी बना रखी है। मंजू का गुपचुप में दाह संस्कार कर सुबूत मिटाने में सहयोग करने वाले एक दो ग्रामीण जरूर बीच-बीच में आकर रामकिशन का हाल पूछते हैं, लेकिन यह सिलसिला भी ज्यादा देर तक नहीं चलता।
एक सप्ताह बाद भी हर ग्रामीण की जुबां पर घटना की चर्चा है, लेकिन गांव में आने वाले हर अनजान आदमी को पुलिसवाला जानकर खुलकर कोई चर्चा नहीं करता।