अतिक्रमण ने निगला पद यात्रियों का हक
जागरण संवाददाता, नारनौल : पश्चिमी देशों में जहां सड़क पर पहला अधिकार पैदल चलने वाले यात्रियों का म
जागरण संवाददाता, नारनौल : पश्चिमी देशों में जहां सड़क पर पहला अधिकार पैदल चलने वाले यात्रियों का माना जाता है, वहीं हमारे देश में इसका ठीक उलटा है। यहां पद यात्रियों को दोयम दर्जे का माना जाता है। यदि ऐसा नहीं होता तो धीरे-धीरे करके शहर और कस्बों से फुटपाथ गायब नहीं हो जाते। लगातार बढ़ती आबादी के चलते नए फुटपाथ बनाए जाने की जगह पुराने फुटपाथ भी अपना अस्तित्व खोने के कगार पर हैं। विकास का सबसे विपरीत प्रभाव फुटपाथ पर ही पड़ा है।
शहर के अनियोजित विकास के साथ-साथ स्थानीय एजेंसियों की लापरवाही, निरंतर अतिक्रमण और लोगों की इस ओर से उपेक्षा का सर्वाधिक दंश फुटपाथों को झेलना पड़ा है। हालात इस कदर बेकाबू हैं कि हमें एक-दो किलोमीटर जाने के लिए भी वाहनों का इस्तेमाल करना पड़ता है या फिर रिक्शा का सहारा लेना पड़ता है। कुछ समय पहले तक शहर के मुख्य-मुख्य मार्गों पर सड़क के दोनों तरफ फुटपाथ बने हुए थे। उस समय वाहन भी कम थे। लेकिन जैसे-जैसे वाहनों की संख्या बढ़ी है, फुटपाथ अतिक्रमण का शिकार बनते गए। इससे पदयात्रियों को अपनी जान जोखिम में डालकर चलना पड़ रहा है।
जिला मुख्यालय के सबसे व्यस्त महावीर चौक के चारों तरफ फुटपाथ होते थे, लेकिन अतिक्रमण और बढ़े ट्रैफिक के भार के चलते फुटपाथ धीरे-धीरे करके गायब हो गए। अधिकतर फुटपाथ पर दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है। नगर परिषद इस ओर से जानकर भी अनजान बनी हुई है। पूरे शहर में अतिक्रमणकारियों का बोलबाला होने के चलते नप अधिकारी अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने से बचते हैं। जब-जब नगर परिषद अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाने के प्रयास किए, राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते ऐसे अभियान बीच में ही रोक दिए गए। वर्तमान नगर परिषद के कार्यकाल में तो अभी तक एक बार भी अतिक्रमण हटाने के लिए कार्यवाही नहीं की गई है।
महावीर चौक से रेवाड़ी रोड पर फुटपाथ बस नाम के लिए बचा है। चौक के बिलकुल साथ वाली पांच-छह दुकानों के समक्ष ही फुटपाथ के अवशेष नजर आते हैं। इन पर भी साथ लगते दुकानदारों ने कब्जे कर रखे हैं। इससे आगे तो यह पहचान कर पाना भी मुश्किल है कि यहां कभी फुटपाथ रहे होंगे। इस मार्ग को पिछले वर्ष राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा मिल चुका है, लेकिन अतिक्रमण के चलते लगातार संकरा होता जा रहा है। पूरे फुटपाथ पर कब्जा हो चुका है। नई पीढी को तो यह जानकार ही आश्चर्य होता है कि इस पर कभी फुटपाथ था भी।
रेवाड़ी रोड पर एक तरफ तो पूरी तरह से अतिक्रमण का बोलबाला है। यहां तक कि सरकारी आफिसर्स कॉलोनी बनाते वक्त भी फुटपाथ की जमीन पर कब्जा कर लिया गया। जिला के प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते महावीर चौक पर ही फुटपाथ की जमीन को सुलभ शौचालय के लिए मुहैया करवा दिया गया। यहां शौचालय बनवाकर प्रशासन वाहवाही लूटने में लगा है जबकि पदयात्री परेशान हैं।
पक्ष-
नगर परिषद समय-समय पर अतिक्रमण हटवाने के लिए अभियान चलाती रहती है। बस स्टैंड के पास पदयात्रियों के लिए पाइप लगाकर रास्ता बनाया गया है। अभी तो बजट में फुटपाथ बनवाने की योजना नहीं है, लेकिन जिस रोड पर भी संभव होगा, वहां फुटपाथ बनवाए जाएंगे। प्रत्येक सड़क पर डिवाइडर भी बनवाए जाएंगे।
-भारती सैनी, नप चेयरपर्सन, नारनौल।