बायल में प्रदूषण विभाग ने चार क्रशर यूनिट को किया सील
संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वायुमंडल में प्रदूषण फैलाने के साथ ही असुविधा स
संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वायुमंडल में प्रदूषण फैलाने के साथ ही असुविधा से मजदूरों के लिए खतरा साबित हो रही बायल की चार पत्थर पिसाई यूनिटों (क्रशर्स) को प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने सील कर दिया है। यह कदम विभाग ने प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड के चैयरमैन के दौरे के बाद उठाया है। चैयरमैन को सील किए गए चारों क्रशर्स की जांच के दौरान भारी अनियमितताएं मिली थी। इस पर उन्होंने इन्हें सील करने के आदेश जारी किए थे। इस पर विभाग के अधिकारियों ने इन्हें सील कर दिया।
सील किए गए क्रशर्स मे एक ऐसा क्रशर भी शामिल है जो पांचनौता अरावली के बीच चल रहा था। इससे अरावली को काफी नुकसान हो रहा था। लेकिन क्रशर संचालक द्वारा वन विभाग की आपत्ति के बाद भी पंचायत से फर्जी प्रस्ताव बनवाकर पत्थर पिसाई का संचालन किया जा रहा था। परन्तु चैयरमैन ने उक्त यूनिट को भी सील करवा दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के एक एनजीओं ने एनसीआर में तेजी से घुलते जहर के लिए क्रशर जोन को भी उत्तरदायी ठहराते हुए एक याचिका डाली थी। याचिका में क्रशर जोन के मजदूरों को सिलीकोसिस बीमारी से भी ग्रस्त होने का जिक्र किया गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर क्रशर जोन की आबोहवा सहित मजदूरों की स्थिति का ब्योरा मांगा था। इस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित टीम ने ही धौलेड़ा, बिगोपुर, जैनपुर, गंगूताना क्रशर जोन का दौरा कर वहां की स्थिति को देखा था। इस दौरान टीम को काफी अनियमितताएं मिली थीं।
इसी के साथ ही हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चैयरमैन व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी श्रीकांत बलगढ़ ने प्रदूषण बोर्ड के एसडीओ व आरओ के साथ बायल पत्थर पिसाई यूनिटों का दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया था। चैयरमैन को बायल में चलने वाले विजया मिनरल्ज, विश्वकर्मा मिनरल्ज, रामा मिनरल्ज सहित पांचनौता अरावली में चलने वाली हरिओम मिनरल्ज में भारी अनियमितताएं मिली थी। इस पर चैयरमैन ने उक्त यूनिटों को सील करने का आदेश जारी किया था। इन्हें विभाग ने 22 नवंबर को सील कर दिया।
चैयरमैन ने इसके अतिरिक्त निजामपुर की एक तथा कमानिया सहित कुल 13 यूनिटों को सील किया है। ऐसी यूनिट नियमों की अनदेखी कर संचालित की जा रही थीं, जिससे वातावरण के साथ ही मजदूरों के लिए भी घातक सिद्ध हो रहे थे।