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घंटो लाइनों में लगने के बाद भी नहीं मिल रहा लोगों को कैश

जागरण संवाददाता, महेंद्रगढ़: नोटबंदी के फैसले से लोगों को राहत मिलने की बजाय दिन-प्रतिदिन अब उनके का

By Edited By: Published: Fri, 02 Dec 2016 06:59 PM (IST)Updated: Fri, 02 Dec 2016 06:59 PM (IST)
घंटो लाइनों में लगने के बाद भी नहीं मिल रहा लोगों को कैश

जागरण संवाददाता, महेंद्रगढ़: नोटबंदी के फैसले से लोगों को राहत मिलने की बजाय दिन-प्रतिदिन अब उनके कामों में रुकावटें पैदा होने लग गई है। घंटों लाइनों में लगने के बाद भी लोगों को उचित व निर्धारित कैश नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नोटबंदी के बाद जहां गृहणियों को घर चलाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो किसानों को खाद-बीज तो व्यापार से जुड़े लोगों के व्यापार में भी अब घाटा आने लग गया है। हालांकि की सरकार की ओर से लोगों ने नोटबंदी के फैसले की सहराना जरूर की थी। लेकिन अब उनकी परेशानी उनके चेहरों में झलकने लग गई है। लोगों का कहना है कि वे प्रधानमंत्री के फैसले से काफी खुश है लेकिन बैंकों से उचित मात्रा में कैश नहीं मिलने के कारण उनके रोजमर्रा के कार्य भी पूरा नहीं हो पा रहे है। सरकार की तरफ से एक सप्ताह में 24 हजार रुपये निकालने की छूट प्रदान की गई है लेकिन बैंकों में उनको मात्र दो हजार रुपये ही थमाए जा रहे है। अगर किसी के परिवार या रिश्तेदारी में खादी हो तो हालात यह हो गए है कि शगुन के पैसों की भी उनको उधारी करनी पड़ रही है। उसके पीछे भी एक कारण है अगर वे शगुन के तौर पर 500 रुपये देते है तो वह राशि अधिक है व खुले उनको मिल नहीं पा रहे है। वहीं दूसरी तरफ आमजन ने सरकार से अपील भी कि है प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि वे छोटे नोटों की जमाबंदी करने वालों के खिलाफ भी बड़ा कदम उठाए। अकसर पेट्रोल पंप पर वे कभी तेल डलवाने के लिए जाते है तो 500 रुपये का तेल डालते है। लेकिन ग्रामीण इलाकों से आने वाले उपभोक्ता अक्सर 100, 50, 20 व 10 रुपये के नोट लेकर आते है। अगर पैट्रोल पंप मालिक छोटे नोट बैंकों में जमा करवाते रहे तो करंसी की कमी नहीं आएगी। सरकार को नोट जमाखोरी करने वालों पर सख्त कदम उठाने चाहिए। तभी जाकर लोगों को राहत मिल सकती है।

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चैक से मिल रहा चार हजार रुपये कैश

चैक भी लोगों को राहत नहीं दे पा रहा है। चैक जमा करवाने के बाद भी बैंकों से लोगों को मात्र चार हजार तक रुपये ही कैश मिल रहे है। वहीं बैंक अधिकारियों की माने तो उनको भी कैश की कमी के चलते लोगों को चार हजार रुपये ही देने पड़ते है। उपभोक्ता उनको अधिक रुपये देने की गुहार लगाते रहते है लेकिन कैश नहीं होने के कारण वे कुछ नहीं कर पाते है।


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