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अच्छी किस्म के बीज से किसान होंगे मालामाल

सुनील कुमार, नारनौल : जिला की आधे रकबे में बिजाई की जाने वाली सरसों को किसान कृषि विशेषज्ञों से स

By Edited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 03:10 PM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 03:10 PM (IST)
अच्छी किस्म के बीज से  किसान होंगे मालामाल

सुनील कुमार, नारनौल : जिला की आधे रकबे में बिजाई की जाने वाली सरसों को किसान कृषि विशेषज्ञों से सलाह व उचित तरीके से बुआई कर अधिक पैदावार ले सकते हैं।

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बिजाई से पहले किसानों को चाहिए कि वो खेत की उचित ¨सचाई कर तीन से चार बार मिट्टी पलटने वाले संसाधानों से जुताई व सुहागा लगा नमी को दबाते हुए खेत तैयार करना चाहिए। किसानों को कम लागत पर अधिक पैदावार लेने के लिए चाहिए कि सबसे पहले उनको खेत को तैयार करने के बाद मिट्टी के नमूनों की जांच करवानी चाहिए। इसके बाद जांच के आधार पर किसानों को चाहिए कि कौन सी किस्म व कितनी मात्रा में खाद खेत के लिए डालना है। बिजाई के लिए कितना बीज से बीज का फासला होना चाहिए आदि बातों की सलाह लेनी चाहिए।

खेत को करें अच्छे से तैयार: फसल की बिजाई करने के लिए सबसे जरूरी कार्य खेत की तैयारी करना है। किसानों को खेत की तैयारियां करने के लिए चाहिए कि ¨सचाई के बाद मिट्टी पलटने वाले हल से तीन से चार बार खेत की जुताई करें। जुताई के बाद सुहागा लगाकर फसल के लिए पर्याप्त मात्रा में नमी बरकरार रखें।

कितनी मात्रा में करें खाद का प्रयोग : किस मिट्टी में कितने खाद की जरूरत है इस बात का पता तो मिट्टी के नमूने की जांच के बाद ही पता चल पाता है। किसानों को खाद कितनी मात्रा में डालना चाहिए इसके लिए अपने खेत की मिट्टी के नमूनों की जांच करवानी चाहिए। उसी हिसाब से कृषि विशेषज्ञों की राय पर फसल की बिजाई के समय खाद डालना चाहिए। अगर जिला की जमीन की बात की जाए तो नार्मल बिजाई के लिए सरसों व तोड़िया के लिए नाइट्रोजन युक्त खाद 24 किलोग्राम, फास्फोरस आठ किलोग्राम, जिंक सल्फेट 10 किलोग्राम, उर्वरक का आधार करीब अमोनियम सल्फेट 120 किलोग्राम, किसान खाद 96 किलोग्राम व एसएसपी 50 किलोग्राम। राया के लिए नाइट्रोजन 32 किलोग्राम, फास्फोरस 12 किलोग्राम, अमोनियम सल्फेट 160 किलोग्राम, किसान खाद 128 किलोग्राम व एसएसपी 75 किलोग्राम खाद डाले।

बिजाई करते समय ये बरतें सावधानियां

-बीज को ड्रिल विधि से 45 सेंटीमीटर लाइन की लाइन से दूरी रखे।

-10 से 15 सेंटीमीटर बीज से बीज की दूरी रखे।

-बीज को चार से पांच सेंटीमीटर गहराई पर ही डाले।

-अंकुरित होने पर अगर गहरी बिजाई हो तो पौधों की छटाई कर दें।

अंकुरित होने के बाद धोलिया रोग से करें बचाव : बीज अंकुरित होने के बाद किसानों को फसल के धोलियां रोग का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह रोग अकसर बीज अंकुरित होने के बाद फसल में लगता है। तेज धूप होने पर इसका प्रभाव अधिक बढ़ जाता है। पे¨टटबग नामक कीड़ा रात के समय पौधे के तने को काट फसल को नुकसान पहुंचाता है। किसानों को धोलिया रोग की रोकथाम के लिए 250 से 400 एमएल मैलाथियान 50 इसी को 250 से 400 लीटर पानी में मिलाकर शाम के समय छिड़काव करना चाहिए। अगर जरूरत हो तो सात दिन दोबारा दवा का छिड़काव किया जा सकता है।

नलाई और गुड़ाई : बिजाई के तीन सप्ताह बाद एक से दो बार सरसों की नलाई व गुड़ाई की जानी चाहिए। वहीं किसानों को कसौला से अगर फसल की उचित गुड़ाई की जाए तो अधिक फायदा मिल सकता है।

सिंचाई का रखे विशेष ध्यान : ¨सचाई बात की जाए तो सरसों को अन्य फसलों की भांति अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है। फसल में अधिकतम दो ¨सचाई काफी है। किसानों को चाहिए की पहली ¨सचाई फूल निकलने के समय पर की जाए, जिससे फसल अपना पूरा ग्रोथ यानि विकास करेगी। अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को चाहिए कि दूसरी ¨सचाई फसल पर फली आने पर करें।

वर्जन..

खेत तैयार व खाद के बाद किसानों को सबसे अधिक ¨चता सताती है वो बीज के किस्म चयन के लिए। किसानों को विशेषज्ञों की सलाह पर आरएच 30, वरुणा, आरएच 8812 अधिक उपज वाली फसल, आरएच 9304, आरएच 9801 हमारे जिले के लिए अनुकूलित किस्म है। किसानों को चाहिए कि 15 से 25 अक्टूबर तक सरसों की बिजाई करें।

-डॉ.दिनेश कुमार, कृषि विकास अधिकारी कनीना।

सरसो का बीज अंकुरित होते ही उसको बीमारियों का सामना नहीं करना पड़े। इसके लिए किसानों को चाहिए कि कृषि विशेषज्ञों की राय पर उचित बीजों उपचार प्रक्रिया करनी चाहिए। किसानों को चाहिए की एक एकड़ खेत की बुआई के लिए दो किलोग्राम सरसों का बीज लें। सरसो के बीज पर सूखा उपचार के लिए किसानों को दो ग्राम प्रतिकिलो बीज कार्बनजींम बीज पर छिड़काव कर दे, जिससे बीज अंकुरित होते समय रोगों की चपेट में नहीं आता है।

डॉ.हरपाल ¨सह, सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी।


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