Move to Jagran APP

संकल्प : बेवल तालाब को मिलेगा पुनर्जीवन

हरबिलास बालवान, महेंद्रगढ़ : दैनिक जागरण द्वारा शुरू की गई मुहिम 'तलाश तालाबों की' के बाद तालाबों

By Edited By: Published: Fri, 27 May 2016 04:20 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2016 04:20 PM (IST)
संकल्प : बेवल तालाब को मिलेगा पुनर्जीवन

हरबिलास बालवान, महेंद्रगढ़ : दैनिक जागरण द्वारा शुरू की गई मुहिम 'तलाश तालाबों की' के बाद तालाबों का महत्व अब आम आदमी की समझ में आने लगा है। इसी मुहिम से प्रभावित होकर बाबा अंतपुरी महाराज क्रिकेट क्लब के युवा सदस्यों ने गांव बेवल के तालाब को साफ-सुथरा करके इसे स्वच्छ जल से भरने की मुहिम आरंभ की है।

loksabha election banner

अंतपुरी क्रिकेट क्लब के सदस्य, संजय, जितेन्द्र, अनिल, दीपक, राजकुमार, संदीप, कृष्ण, लक्ष्मण, मंदीप, अजय, विकास, पवन, खेजू आदि युवाओं ने तालाब की सफाई की मुहिम को तेज कर दिया है। वर्षो से उपेक्षा के कारण तालाब की गहराई ना के बराबर रह गई थी। दिन प्रतिदिन गिरती मिट्टी के कारण तालाब में नाममात्र का गंदा पानी रह गया था, जिससे लाभ होने की बजाय दुर्गंध आने पर तालाब के साथ लगते विद्यालय के विद्यार्थियों तक पर इसका असर पड़ रहा था। अब इसे साफ-सुथरा बनाकर स्वच्छ जल भरने की मुहिम में युवा जुड़ गए हैं। ग्राम पंचायत के सदस्य तालाओं के महत्व को समझते हुए एवं गिरते भूमि जलस्तर के कारण नहरी पानी से भरवाने के लिए सदस्यों द्वारा सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि पहले तालाब में गांव की शामलात भूमि का पानी वर्षा के समय एकत्रित होकर तालाब में गिरता था। बणी के अंदर जगह-जगह अवरोधक होने एवं वर्षा कम होने के कारण तालाब में पानी आना बंद हो गया था। कुछ समय के लिए तालाब को साथ लगते ट्यूबवेल से भरवाया गया, लेकिन समय के साथ सब अतीत की बाते रह गई और तालाब अपना अस्तित्व खोने की ओर अग्रसर हो गया था। तलाश तालाबों की मुहिम के कारण तालाब के दिन फिरने की संभावना भी बलवती हो गई है।

कभी यही तालाब पूरे गांव के मवेशियों की जलापूर्ति की आवश्यकता को पूरी करता था। हरे-भरे पेड़ों एवं धार्मिक स्थान होने के काराण ग्रामीणों के लिए आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ रमणीक स्थान बना हुआ था। सुबह-सायं तालाब पर आना लोगों की दिनचर्या बनी हुई थी। घर में लगे नलो की संस्कृति पनपने के कारण लोग तालाब का महत्व भी नहीं समझ रहे थे। अब गिरते भू जल स्तर और समाप्त होते जल के कारण लोगों को तालाबों की महत्ता समझ में आने लगी है। जल संकट से झूझ रहे क्षेत्रों में यह तालाब वरदान साबित हो गए।

फोटो : 28

दैनिक जागरण ने जोहड़ तालाबों के पुनर्जीवन के लिए जो पहल की है, उसकी हम सराहना करते हैं। जलाशयों को बचाकर रखना अब समय की मांग हो गई है। स्वार्थो से वशीभूत होकर जोहड़, बावडि़यों, तालाबों पर लोगों ने कब्जे कर लिए, वहीं प्रशासन ग्राम पंचायत के सदस्यों का भी कोई ध्यान नही रहा। समय के साथ जल सरंक्षण के लिए जोहड़, तालाब बेहतर संसाधन है। इन्हें संजोकर रखना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। अगर इस गांव का तालाब पूर्ण रूप से साफ हो जाए जिसके लिए प्रयास किए जा रहे है। पानी भरने के बाद गांव की अधिकतर जल संबंधी आवश्यकताओं को पूर्ति करने में सक्षम है। साथ ही पूर्वजों की धरोहर को ही संजोकर रखा जा सकता है, जिन्होंने उस समय संसाधनों के अभाव के बावजूद इतने बड़े पक्के तालाब का निर्माण करवाया। उसके देखरेख की जिम्मेवारी प्रत्येक ग्रामीण की बनती है।

-यदुनंदन बेवल, पूर्व सरपंच।

फोटो : 29

आने वाला सबसे बड़ा संकट दुनिया के सामने जल का होगा। इसलिए अपनी एवं भावी पीढ़ी के भविष्य को देखकर जल सरंक्षण के प्रति अभी से जागरूक होकर हमें जल की एक-एक बूंद को बचाना होगा। जिस तरह बूंद-बूंद से सागर भरता है उसी तरह प्रत्येक व्यक्ति को जल के प्रति जागरूक होकर जल की बचत करनी होगी। पुराने कुएं, तालाब, बावाड़ियों का रखरखाव अब समय की मांग हो गई है। सामूहिक रूप से एक जगह मवेशियों के पानी पीने से जल की बचत होती है। तालाब, बावड़ी वाटर रिचार्जिंग में अहम भूमिका अदा करते हैं। इनके भरे रहने से गांव के आसपास का जल स्तर भी ठीक रहता है।

-लाल¨सह यादव, शिक्षक।

फोटो : 30

जल संकट के लिए प्रत्येक नागरिक जिम्मेवार है। अपने हितों की पूर्ति के लिए प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पक्के निर्माण करके अवरूद्ध कर दिया गया। हर व्यक्ति केवल अपने बारे में सोचता है। पहले बुजुर्गो ने सामूहिक भाईचारा कायम रखते हुए वैज्ञानिक ²ष्टिकोण से तालाब, बावडि़यों का निर्माण करवाया था। बंजर भूमि का पानी ईधर-उधर फैलने की बजाए तालाबों में आकर जमा हो जाता था। ग्रामीण उसका भरपूर प्रयोग करते थे। अब स्वार्थो के चलते जगह-जगह अवरोध बना दिए गए। पानी की निकासी नहीं होने के कारण तालाबों तब पानी पहुंच नही पाता। सरकार द्वारा नहरी पानी से तालाबों को भरने की पहल भी सराहनीय है।

-दलीप ¨सह, पूर्व पंच।

फोटो : 31

जमीन के एक भूभाग पर कब्जा करने के लिए एक दूसरे देश की सेनाएं लड़ती थी। आने वाले समय में ठीक उसी तरह जल के ससंाधनों एवं स्त्रोतों के लिए विश्वयुद्ध होने के कयास अभी से लगाए जाने लगे हैं। इसलिए प्रत्येक नागरिक को समय रहते हुए जल का सदुपयोग करते हुए जलाश्यों को एकत्रित करना चाहिए, जिससे पानी की बर्बादी रुक सके तथा रिचार्ज होकर जलस्तर ऊपर आ सके। नहरों के अभाव में इस शुष्क एवं रेतीले क्षेत्र में तालाब, जलाशय आने वाले समय में वरदान साबित होंगे। इसलिए समय रहते इसके महत्व को समझते हुए इनका रखरखाव आवश्यक है।

-अभय ¨सह, पूर्व नेवी अधिकारी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.