जोहड़ के पानी की दुर्गध से बूढ़वालवासी परेशान
फोटो : 01 - जलीय जीव मरने से पशुओं के पीने लायक भी नहीं बचा है पानी संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी
फोटो : 01
- जलीय जीव मरने से पशुओं के पीने लायक भी नहीं बचा है पानी
संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी : यहां के गांव बूढ़वाल में स्थित जोहड़ में जमा पानी बीमारियों को न्योता दे रहा है। जोहड़ में जलीय जीव मछलियों के मरने से पानी से उठने वाली दुर्गंध से ग्रामीण काफी परेशान हैं। सबसे अधिक परेशानी जोहड़ के आस-पास स्थित मोहल्लावासियों को हो रही है। पूरे जोहड़ में फैली काई से जहां जोहड़ का जल प्रदूषित हो गया है, वहीं मछलियों के मरने से पानी पशुओं के पीने योग्य भी नही बचा है।
पानी से उठने वाली दुर्गध से पास स्थित मोहल्लावासियों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। दुर्गध वातावरण से जोहड़ के नजदीक स्थित सरकारी स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को पढ़ाने करने में दिक्कत हो रही है। दिनभर की बदबू व सड़ांध के चलते बुजुर्गों का खुलकर सांस लेना मुश्किल हो रहा है। इस कदर परेशानी के बावजूद पंचायती व प्रशासनिक स्तर पर जोहड़ की सफाई व दवाई डालने का कोई प्रयास नही किया जा रहा है। इससे ग्रामीणों में रोष पनप रहा है।
जोहड़ के पास स्थित कुछ ग्रामीणों ने बताया कि गर्मी के साथ ही यह समस्या पैदा हो जाती है। गर्मी के कारण जोहड़ में पानी कम हो जाता है। इसमें कुछ मछलियां व अन्य जलीय जीव गंदगी की वजह से दम तोड़ने लगते हैं। मृत जलीय जीवों के सड़ने से माहौल में खतरनाक बदबू फैली रहती है। यह जोहड़ गांव के साथ स्थित है। इससे इसके आस-पास सैकड़ों की संख्या में आवासीय मकान हैं। साथ ही सरकारी स्कूल, आंगनवाड़ी केन्द्र और मंदिर स्थित है।
दिन में ज्यों-ज्यों धूप बढ़ती है, त्यों-त्यों बदबू बढ़ती जाती है। इसके नजदीक से गुजरने वाले रास्तों से आवागमन करने वाले लोगों को इस बदबू व सड़ांध के चलते नाक पर रुमाल रखना पड़ता है। शाम व रात को कुछ समय माहौल में ठंडक से राहत के बाद दिन में फिर बदबू आनी शुरू हो जाती है। इसके अलावा मच्छरों के प्रकोप के चलते आस-पास रहने वालों का सुख भरी नींद लेना दुश्वार हो गया है। जोहड़ का जल पिछले काफी दिनों से पशुओं के पीने योग्य भी नही बचा है। पिछले कई वर्षों से इसके जल का कोई उपयोग नही हो रहा है। हर वर्ष गर्मी की शुरुआत के साथ ही सड़ांध व बदबू की समस्या पैदा हो जाती है।
ग्रामीणों ने बताया कि वायु प्रदूषण व बीमारियों के फैलने के अंदेशे के बावजूद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा प्रशासनिक स्तर पर इस समस्या से निपटने के लिए प्रयास नही किए जा रहे हैं। इसका खामियाजा लोगों को झेलना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से जोहड़ की सफाई व पानी में दवाई डालने की मांग की है।