़अस्पताल में कब्जा लेने पहुंचा दस्ता लौटा बैरंग
फोटो नं 19, 20, 21, 22 - नारनौल के सामान्य अस्पताल में बने पुराने भवन पर चल रहा था कोर्ट में के
फोटो नं 19, 20, 21, 22
- नारनौल के सामान्य अस्पताल में बने पुराने भवन पर चल रहा था कोर्ट में केस
- सोनीबाई बनाम हरियाणा सरकार मामले में कोर्ट में हारी हरियाणा सरकार
- सोनीबाई ने केस जीतने के बाद उक्त हिस्सा बेच दिया था इन्द्रजीत गुप्ता को
जागरण संवाददाता, नारनौल : कोर्ट से केस जीतने के बाद नारनौल के सामान्य अस्पताल में कब्जा लेने पहुंचे दस्ते को परिसर में बने कार्यालयों पर ताले लटके मिलने पर बैरंग लौटना पड़ा।
शनिवार दोपहर को तहसीलदार रतनलाल एवं थाना शहर प्रभारी रमेश कुमार पुलिस बल एवं जेसीबी समेत सामान्य अस्पताल नारनौल पहुंचे। वहां पर प्रेमनाथ गुप्ता एडवोकेट के भाई इन्द्रजीत गुप्ता एवं प्रवीण गुप्ता एडवोकेट समेत अनेक लोग मौजूद थे। तहसीलदार ने मौके पर पैमाइश करके सफेद पाउडर डलवाया। जिस पर मजदूरों ने हथौड़ा चलाकर निशानदेही की। किन्तु कब्जा दिलाने गए दस्ते को अस्पताल के पुराने भवन दरवाजों पर ताले लटके मिले। इससे उन्हें निराशा हुई। शनिवार को छुट्टंी के कारण अस्पताल में कोई अधिकारी भी मौजूद नहीं था। ऐसे में उन्हें वापस बैरंग लौटना पड़ा।
ये है मामला :
अस्पताल के काठ मंडी गेट के साथ अग्रवाल सभा की तरफ एक पुराना भवन बना हुआ है। यह भवन काफी पुराना है तथा पीडब्ल्यूडी विभाग ने इसे कंडम घोषित किया हुआ है। मगर इसके बावजूद भी इसमें अस्पताल पुलिस चौकी, जन्म-मृत्यु समेत स्वास्थ्य विभाग के अनेक कार्यालय चल रहे हैं। इसी भवन के भू-भाग पर प्रेमनाथ गुप्ता एडवोकेट के भाई इन्द्रजीत गुप्ता एडवोकेट ने कोर्ट में दावा किया हुआ था। जो केस वे हाई कोर्ट में जीत गए।
परोकार प्रवीण गुप्ता एडवोकेट ने बताया कि सोनीबाई पत्नी किशनदास नामक महिला पाकिस्तान छोड़कर नारनौल आई थी। तब कस्टोडियन विभाग ने उनको 1210 वर्ग ग•ा जमीन पाकिस्तान में छोड़ी गई जमीन जायदाद के बदले में दी थी। स्वास्थ्य विभाग ने इस पर भवन निर्माण किया हुआ है। पति की मृत्यु उपरांत सन 1974 में कोर्ट में दावा किया गया। सोनीबाई बनाम हरियाणा सरकार केस में सोनीबाई निचली अदालत में जीत गई और सोनीबाई ने यह जमीन इन्द्रजीत गुप्ता को बेच दी। कोर्ट में जीते गए केस के विरुद्ध स्वास्थ्य विभाग ने हाई कोर्ट में अपील दायर कर दी। जिसमें भी इन्द्रजीत जीत गए। इसी मामले में तहसीलदार को कब्जा दिलाने का आदेश हुआ था। मगर शनिवार को कार्यालय की सरकारी छुट्टंी होने के कारण यह संभव नहीं हो पाया। उक्त जमीन मंडी को जाने वाली प्रमुख सड़क से लगती है। यह जमीन मार्केट के हिसाब से अब काफी महंगी हो चुकी है तथा इसे करोड़ों में आंका जा रहा है।
''23 मार्च को छुट्टंी से लौटने के बाद उनको कोर्ट के आदेश मिले थे। उन्होंने शहर पुलिस को सूचित कर सुरक्षा मांगी थी। पुलिस (गोद बलाहा एवं अन्य मामलों में) व्यस्त थी। सुरक्षा मिलते ही कब्जा कार्रवाई की गई है। किन्तु अस्पताल के उक्त भवन पर ताले लटके मिले हैं। कानूनन वे ताले नहीं तोड़ सकते हैं। इस बारे में रिपोर्ट बनाकर भेजी जाएगी।
रतनलाल, तहसीलदार, नारनौल।
''अस्पताल के पुराने भवन वाली जगह को लेकर कोर्ट में केस चला हुआ था। इसी 17 मार्च को कोर्ट ने उनका केस खारिज कर दिया। अब इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की बैंच के सम्मुख अपील दायर करने पर विचार किया जा रहा है। उच्चाधिकारियों को बताया जा चुका है।
-डा. अशोक कुमार, कार्यकारी सिविल सर्जन, नारनौल।
''अस्पताल भवन का जो केस जीता गया है, उसकी तहसीलदार ने निशानदेही करा दी है। 90 गुणा 110 वर्ग गज जमीन का फैसला उनके पक्ष में आया है। किन्तु इस भू-भाग में बने भवन के कार्यालयों पर ताला लटके हैं। तालों के विरुद्ध कोर्ट की शरण ली जाएगी।
-प्रवीण गुप्ता एडवोकेट, वकील, इन्द्रजीत गुप्ता पक्ष नारनौल।