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पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर के दावे की निकली हवा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी के कारण बच्चों की मौत का मामला

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Aug 2017 12:05 AM (IST)Updated: Thu, 17 Aug 2017 12:05 AM (IST)
पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर के दावे की निकली हवा
पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर के दावे की निकली हवा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी के कारण बच्चों की मौत का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि एलएनजेपी अस्पताल में 15 अगस्त को एक बड़ी लापरवाही सामने आई। मंगलवार को आइसीयू में दोपहर में काफी देर तक ऑक्सीजन की सप्लाई बंद रही। गनीमत रही कि उस समय आपातकालीन विभाग में दो ही गंभीर मरीज थे। हालांकि टीबी के एक गंभीर मरीज को तड़पता देख अस्पताल प्रशासन ने आनन-फानन में दूसरे सिलेंडर से ऑक्सीजन लगा दिया। लेकिन अस्पताल की यह लापरवाही परिजनों को हिला दिया। जब परिजनों ने मरीज के लिए अलग से ऑक्सीजन का सिलेंडर मांगा तो अस्पताल प्रशासन ने देने से मना कर दिया, जिसके बाद परिजन अपने खर्चे पर ऑक्सीजन का बड़ा सिलेंडर लेकर अस्पताल में पहुंच गए। वहीं जब यह मामला दैनिक जागरण ने अधिकारियों के सामने उठाया तो अस्पताल प्रशासन मरीज के परिजनों के पास पहुंच गया और मरीज के पिता से फोन पर संवाददाता की बात कराकर इस मामले की सफाई दिलाने लगा। इसके बाद जब दैनिक जागरण संवाददाता ने मरीज के भाई से फोन पर संपर्क साधा तो उसने साफ कहा कि उसका भाई एक मिनट भी ऑक्सीजन के बिना नहीं रह सकता। अस्पताल प्रशासन के हाथ खड़ा करने के बाद उसकी अलग से सिलेंडर की व्यवस्था करना मजबूरी थी।

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15 मिनट तक बंद ऑक्सीजन

मरीज के भाई कमलेश ने बताया कि ऑक्सीजन की सप्लाई जिस जगह से हो रही है वहां ऑक्सीजन खत्म होने के बाद सिलेंडर बदलने में कुछ समय लग जाता है। बीच-बीच में 15-15 मिनट तक ऑक्सीजन की सप्लाई बंद रहती है। कमजोर फेफड़े वाले मरीज की जान जाने के लिए 15 मिनट का अंतराल काफी है। इनफेक्शन के दौरान मरीज के फेफड़े कमजोर हो जाते हैं, जिसके लिए मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। भाई घनश्याम का भी फेफड़ा कमजोर है जो कृत्रिम ऑक्सीजन के बिना जीवित नहीं रह सकता। जब अलग से सिलेंडर नहीं मिला तो वे डर गए, बाहर से अपने खर्चे पर बड़ा सिलेंडर लेकर आए।

अस्पताल में 47 ऑक्सीजन सिलेंडर

एलएनजेपी अस्पताल में 47 ऑक्सीजन के छोटे बड़े सिलेंडर हैं। छोटा सिलेंडर 40 मिनट तक चलता है, जबकि बड़ा सिलेंडर 10 से 12 घंटे तक निकाल जाता है। इसके बावजूद सप्लाई से ऑक्सीजन के छोटे सिलेंडर लगा दिए जाते हैं।

पिता गजोधर से कराई बात

दैनिक जागरण के सवालों के बाद जैसे ही मामला अस्पताल प्रशासन के संज्ञान में आया तुरंत प्रशासन द्वारा मरीज के पिता गजोधर की बात संवाददाता से कराकर मामले में लीपापोती करनी शुरू कर दी गई। गजोधर ने बताया कि अपनी सुविधा को देखते हुए अलग से ऑक्सीजन का बड़ा सिलेंडर लाया गया था।

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संवेदनशील है विभाग

गोरखपुर मामले के बाद किसी भी तरह की लापरवाही न हो इसके लिए मैं स्वयं सुबह और सायं दोनों समय ऑक्सीजन की उपलब्धता की जांच कर रहा हूं। मंगलवार को सुबह भी मेरे द्वारा ऑक्सीजन जांच की गई थी और सायं को भी। दोनों ही समय ऑक्सीजन की सप्लाई ठीक हो रही थी। इसके अलावा जिस मरीज को ऑक्सीजन नहीं मिलने की बात कर रहे हैं उसे अलग से सिलेंडर लगाया गया है। अस्पताल में किसी ने मरीज को ऑक्सीजन देने से मना नहीं किया। अगर कोई अपनी मर्जी से ऑक्सीजन का सिलेंडर ले आए तो क्या कह सकते हैं। मगर अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर उपायुक्त मात्रा में उपलब्ध है।

डॉ. मुकेश, चिकित्सा अधीक्षक, एलएनजेपी अस्पताल, कुरुक्षेत्र।


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