जिले में भ्रूणहत्या रोकने की जिम्मेदारी अब पीएनडीटी सेल पर भी
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जिले में भ्रूणहत्या रोकने का दारोमदार अब तक स्वास्थ्य विभाग की प
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
जिले में भ्रूणहत्या रोकने का दारोमदार अब तक स्वास्थ्य विभाग की पीएनडीटी टीम पर था। मगर अब इसका जिम्मा पीएनडीटी सेल पर भी होगा, जिसका गठन सोमवार को उपायुक्त सुमेधा कटारिया ने किया। इस सेल का काम ¨लगानुपात बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाने से लेकर भ्रूणहत्या के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर कार्रवाई करने का होगा। इस सेल की खासियत यह होगी कि इसमें एक सदस्य स्वास्थ्य विभाग से, एक पुलिस विभाग से और एक कानूनी सेल से होगा। साथ ही जरूरत पड़ने पर यह सेल बिना रोकटोक के किसी दूसरे विभाग की मदद ले सकेगा।
अब तक जिले में अच्छे या बुरे ¨लगानुपात का जिम्मेदार केवल स्वास्थ्य विभाग की पीएनडीटी टीम को ही माना जाता था। भ्रूण हत्या रोकने के लिए छापामारी करने का जिम्मा पीएनडीटी टीम पर था। मगर इसका कारण लोगों की बिगड़ती मानसिकता है। केवल सख्ती से ही ¨लगानुपात को सुधार पाना मुश्किल है इसलिए सरकार ने जिले में पीएनडीटी सेल का गठन किया है, ताकि जागरूकता अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को भ्रूण हत्या रोकने का संदेश पहुंचाया जा सके।
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डॉ. आरके सहाय होंगे सेल के कोआर्डिनेटर
उपायुक्त कार्यालय में जिला टास्क फोर्स की बैठक में उपायुक्त सुमेधा कटारिया ने पीएनडीटी टीम के नोडल अधिकारी को पीएनडीटी सेल का को-आर्डिनेटर नियुक्त किया है। उपायुक्त ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ अन्य विभागों के अधिकारियों के अथक प्रयासों से कुरुक्षेत्र के लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है। इस स्थिति को बरकरार रखने तथा ओर बेहतर करने के लिए सभी को सांझे प्रयास करने होंगे। इस बैठक में पीओ आईसीडीएस राज बाला कटारिया ने बैठक के विभिन्न एजेंडों को कमेटी के सदस्यों के समक्ष रखा। इस मौके पर डीएसपी मुख्यालय राज ¨सह, डिप्टी सिविल सर्जन डॉ.एनपी ¨सह व डॉ. आरके सहाय, डिप्टी डीईओ नमीता कौशिक सहित अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
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आंकड़ों से खेल नहीं होगा बर्दाश्त
सभी अधिकारी लिंगानुपात के सही आंकड़ों को ही प्रस्तुत करेंगे। इन आंकड़ों में जरा सी भी गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। इस मामले में जो भी अधिकारी लापरवाही बरतेगा उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। विभिन्न केसों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि इन्फारमेशन कम्युनिकेशन को लेकर एक सप्ताह के अंदर विशेष अभियान चलाया जाना चाहिए और महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी तीन माह में नियमित रूप से आंगनबाड़ी वर्करों के साथ बैठक करना सुनिश्चित करें और जमीनी स्तर पर योजनाओं को लेकर कार्य किया जाए।