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कुरुक्षेत्र में 'जांच पड़ताल' से निकला भ्रष्ट अफसरों का पसीना

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : किशोर दा संगीत नाट्य ट्रस्ट द्वारा भारत सेवाश्रम संघ परिसर में

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Sep 2017 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 08 Sep 2017 03:01 AM (IST)
कुरुक्षेत्र में 'जांच पड़ताल' से निकला भ्रष्ट अफसरों का पसीना
कुरुक्षेत्र में 'जांच पड़ताल' से निकला भ्रष्ट अफसरों का पसीना

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : किशोर दा संगीत नाट्य ट्रस्ट द्वारा भारत सेवाश्रम संघ परिसर में आयोजित कुरु राष्ट्रीय नाट्य समारोह में आज दूसरे दिन बृहस्पतिवार को अनुकृति रंगमंडल कानपुर ने नाटक 'जांच पड़ताल' का मंचन किया। कुरुक्षेत्र के कला प्रेमियों ने कानपुर के कलाकारों की तालियों से सराहना की।

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नाटक के सह निर्देशक डॉ. ओमेन्द्र कुमार ने बताया कि निकोलई वैसिलीविच गोगोल के इस प्रसिद्ध नाटक दी गवर्नमेंट इंस्पेक्टर का संजय सहाय ने रूपांतरण किया है। नाटक के अब तक 8 सफल शो दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, कटरा, पटना में हो चुके हैं। हर बार दर्शकों ने इसे खूब सराहा।

नाटक की कहानी कुछ यूं है कि एक छोटा शहर या फिर राज्य जहां सिर से नख तक हर सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है। वहां के मेयर गजेंद्र बाबू को एक दिन खबर मिलती है कि केंद्र ने राज्य की जांच पड़ताल के लिए उच्च अधिकारियों ने एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया है। मेयर साहब एक इंमरजेंसी मी¨टग में मजिस्ट्रेट संकटा प्रसाद सिविल सर्जन, डिस्ट्रिक स्कूल इंस्पेक्टर (डीआईओएस), पोस्टमास्टर और कोतवाल आदि सभी अफसर इस बिन बुलाई मुसीबत से निजात पाने के लिए उपाए खोजते है। संयोग से इसी दौरान एक होटल में दिल्ली से आए एक युवक को ये सभी दिल्ली वाला अफसर समझ लेते हैं।

मेयर साहब खुद और अपने अफसरान को बचाने की नियत से इस युवक कुमार को मेहमान बनाकर होटल से अपने घर ले जाते है। मेयर की दूसरी पत्नी इमरती देवी और पहली पत्नी की बेटी बेबी के बीच कुमार को पटाने की होड़ सी लगी है। एक दिन मौका देख अफसर के भ्रष्ट आचरण से बुरी तरह परेशान व्यापारी कुमार से शिकायत करने पहुंच जाते हैं। बीच बीच में मेयर के मुंह लगे सेवक गोबर ¨सह, झुलन, लोटा प्रसाद और चिलमची मियां अनायास ही हास परिहास के नए मौके दर्शकों के समक्ष परोसते हैं।

मेयर, उनके अफसरों और व्यापारियों से लंबी रकम वसूल कर कुमार रफूचक्कर हो जाता है। तब कहीं जाकर यह राज खुलता है कि वह जांच अधिकारी नहीं एक साधारण युवक था। तभी सर्किट हाउस का चपरासी मेयर साहब के बंगले पहुंच कर बताता है कि केंद्र से भेजा गया सचमुच का जांच अधिकारी पहुंच चुका है।

नाटक में गजेंद्र बाबू मेयर की भूमिका स्वयं कुमार, स्कूल इंस्पेक्टर सुरेश श्रीवास्तव, मैजिस्ट्रेट योगेश पांडेय, सिविल सर्जन अनिल निगम, पोस्टमास्टर मनोहर सुखेजा, लोटा प्रसाद अनिल गौड़, चिलमची मियां अजय प्रताप ¨सह, गोबर ¨सह व चपरासी संजय शर्मा, बेबी दीपिका ¨सह, कुमार विजयभान ¨सह, इमरती देवी की भूमिका नीलम प्रिया मिश्रा ने बखूबी निभायी। व्यापारी - प्रमोद शर्मा, सम्राट यादव व महेश चंद एवं आकाश, अभिलाष ने भी अच्छा अभिनय किया। शिरीष सिन्हा का संगीत व कृष्णा सक्सेना का निर्देशन बेहतरीन था।


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