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कुवि में अधिकारी व कर्मचारी रहते सीट से घंटों गायब

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कहते हैं जिस खेत को बाड़ ही खाना शुरू कर दे तो उसे भगवान भ

By Edited By: Published: Sat, 27 Aug 2016 12:27 AM (IST)Updated: Sat, 27 Aug 2016 12:27 AM (IST)
कुवि में अधिकारी व कर्मचारी रहते सीट से घंटों गायब

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कहते हैं जिस खेत को बाड़ ही खाना शुरू कर दे तो उसे भगवान भी नहीं बचा सकता। कुछ ऐसा ही हो रहा है कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में। कुवि में कर्मचारियों का सीटों पर न बैठना तो आम है, लेकिन सच तो यह है कि अधिकारी भी अपनी सीटों से घंटों गायब रहते हैं। इनके ऊपर कर्मचारियों पर निगरानी रखने की जिम्मेवारी है। दोपहर डेढ़ बजे लंच के लिए जाने के बाद जहां कर्मचारी ढाई बजे से पहले सीटों पर नहीं आते वहीं उनके ऊपर नजर रखने वाले अधिकतर शाखा अधीक्षक भी समय पर नहीं आते। फिर छात्र चाहे मर्जी जहां भटके उनकी सुनने वाला कौन है। शुक्रवार को जागरण लाइव तहत ऐसा ही देखा गया।

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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की धींगामुश्ती आम हो चली है। छोटी-छोटी मांगे अगर पूरी नहीं होती हैं तो हड़ताल पर चले जाते हैं। प्रशासन कुछ नहीं कर पाता। इस बेचारगी के आगे कर्मचारी ताकतवर हैं। आलम यह है कि वे अपनी मर्जी से आते हैं और अपनी मर्जी से अपनी सीटों पर बैठते हैं। सबसे बड़ी समस्या लंच के बाद आने की है। कुवि के नियमों के अनुसार डेढ़ बजे लंच का समय शुरू होता है और दो बजे समाप्त हो जाता है, लेकिन कर्मचारी समय पर अपनी सीटों पर नहीं आते।

दो शाखाओं में मिले अधीक्षक, एक में कर्मचारी नहीं

शुक्रवार को लंच के बाद दो बजकर जागरण संवाददाता ने परीक्षा शाखा एक का जागरण लाइव किया। दो बजकर 20 मिनट परीक्षा शाखा एक के प्रथम तल, द्वितीय तल और तृतीय तल के सभी कमरों को जांचा। शुक्रवार को दो बजकर 20 मिनट पर जांच की तो परीक्षा शाखा के लगभग दस कमरों में से जहां कोई भी कर्मचारी नहीं मिले, लेकिन दो कमरों को छोड़ दें तो उनमें शाखा अधीक्षक भी मौजूद नहीं थे।

शाखा अधीक्षक, लेकिन कर्मचारी एक

वहीं कमरा नंबर 415 में जागरण फोटोग्राफर पहुंचा तो दो बजकर 21 मिनट पर कमरें में केवल अधीक्षक और एक कर्मचारी मौजूद था। हालांकि अधीक्षक ने बताया कि यहीं कहीं होंगे और उन्होंने अपने कर्मचारियों का बचाव करने का प्रयास किया। बात यहीं नहीं रुकी और इन कर्मचारियों पर नजर रखने वाले परीक्षा नियंत्रक दो और डीन ऑफ परीक्षा शाखा के कमरे भी बंद थे और उनमें न तो अधिकारी थे और न ही कर्मचारी।

फोटो संख्या- 25

छात्रों को परेशानी

छात्र कबीर का कहना है कि सुबह आते हैं तो कहा जाता है कि दोपहर बाद आए, लेकिन दोपहर बाद दो बजे की बजाए कर्मचारी अपनी सीटों पर ढ़ाई बजे से पहले नहीं आते। इसके चक्कर में पूरा दिन यहीं रहना पड़ जाता है। उन्होंने बताया कि दूर से आने वाले छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

फोटो संख्या- 26

जल्दी नहीं हो पाता कार्य : रवि

हिसार से आए रवि का कहना है कि वे अपनी अंकतालिका लेने आए थे, लेकिन पूरा दिन चक्कर लगाने के बाद अब इंतजार कर रहा हूं कि कब कर्मचारी आए और उसे अंकतालिका मिल पाए। वहीं तीन बजे कर्मचारियों की बैठक है। कर्मचारी कह रहे हैं कि अब कल आना। अब इन्हें कौन समझाए कि हिसार से दोबारा आने का मतलब क्या होता है।

फोटो संख्या- 27

छात्रों की सहायता नहीं करते कर्मचारी

छात्र संदीप का कहना है कि कर्मचारी केवल अपनी मांगों के लिए लड़ाई लड़ते तो दिखते हैं, लेकिन विद्यार्थियों की समस्या से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। दोपहर को लंच एक बजे शुरू होता है तो ढाई बजे समाप्त होता है। देश के कौन से विभाग में डेढ़ घंटे का लंच टाइम है, लेकिन कर्मचारियों की तो प्रशासन सुनता है विद्यार्थियों की नहीं।


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